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इधर भी देखिए साहब : 130 विद्यालय अभी भी शौचालय विहीन, 191 स्कूलों में यूरीनल नहीं

शिक्षा का स्तर बेहतर बनाने के लिए शासन की ओर से करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके जिले में परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्था खस्ताहाल बनी हुयी है।
 

910 स्कूलों में दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए नहीं है शौचालय

सारे विकास खंडों में एक जैसे हालात

चंदौली जिले में एक ओर ऑपरेशन कायाकल्प के तहत शिक्षा का स्तर बेहतर बनाने के लिए शासन की ओर से करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके जिले में परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्था खस्ताहाल बनी हुयी है। दर्जनों प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के शौचालय बदहाल हैं। जिले का आलम यह है कि जिले के 130 विद्यालय अभी भी शौचालय विहीन हैं। वहीं 191 स्कूलों में यूरीनल नहीं है। दिव्यांग शौचालयों के निर्माण की गति भी काफी धीमी है, जिससे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन व उसकी मानिटरिंग करने वाले अफसरों की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठ रहे हैं।

जिले के 1185 परिषदीय स्कूलों में कई में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। कई विद्यालयों के भवन जर्जर हैं तो कई में बिजली ही नहीं पहुंची है। सबसे खराब दशा शौचालयों की है। इससे छात्र-छात्राओं को स्कूल के समीप खेतों व अन्य शौचालयों का सहारा लेना पड़ रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध कराने में काफी पीछे चल रहा है। जिले के 72 परिषदीय स्कूलों में ब्वायज टायलेट नहीं हैं। ब्लॉक के अनुसार देखा जाए तो शहाबगंज के 15, सकलडीहा के एक, चकिया के 13, धानापुर के दो, बरहनी के एक, चहनिया के तीन व नौगढ़ के 37 परिषदीय विद्यालयों में ब्वायज टायलेट नहीं है। वहीं जिले के 58 परिषदीय स्कूलों में छात्राओं के टायलेट नहीं हैं। इनमें शहाबगंज ब्लॉक के 12, सकलडीहा के एक, चकिया के छह व नौगढ़ के 39 स्कूलों में छात्राओं के लिए टॉयलेट नहीं बनाया गया है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को उठानी पड़ रही है।

910 स्कूलों में दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए शौचालय नहीं 

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिले के 910 स्कूलों में दिव्यांग छात्र-छात्राओं के लिए शौचालय नहीं बनवाए गए हैं। इससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार सीडब्ल्यूएसएन (चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड) के तहत शहाबगंज ब्लॉक के 83, चंदौली के 61, सकलडीहा के 90, चकिया के 111, धानापुर के 108, बरहनी के 117, चहनिया के 123, नियामताबाद के 95 व नौगढ़ के 115 स्कूलों में शौचालय नहीं बन पाए हैं।

 टायलेट के अलावा जिले के सैकड़ों परिषदीय स्कूलों में यूरीनल भी नहीं बने हैं। इससे छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षकों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। यूरीनल के लिए उन्हें स्कूलों से बाहर खुले में जाना पड़ता है। छात्रों के लिए 191 स्कूलों में यूरीनल नहीं हैं। इसमें शहाबगंज ब्लॉक के 24, चंदौली के तीन, सकलडीहा के 11, चकिया के 35, धानापुर के 15, बरहनी के 26, चहनिया के आठ, नियामताबाद के 13 व नौगढ़ के 56 स्कूलों में यूरीनल नहीं हैं। वहीं छात्राओं के लिए बने यूरीनल की बात करें तो 178 स्कूलों में यूरीनल नहीं बनाए गए हैं। इसमे शहाबगंज ब्लॉक के 23, चंदौली के एक, सकलडीहा के 10, चकिया के 35, धानापुर के 12, बरहनी के 24, चहनिया के छह, नियामताबाद के 13 व नौगढ़ के 54 स्कूलों में यूरीनल नहीं है।

6 माह से शौचालय का निर्माण कार्य बंद 

 बरहनी विकासखंड के कुशहां स्थित प्राथमिक विद्यालय में छात्र-छात्राओं के लिए शौचालय नहीं बनाया गया है। इससे बच्चों को, खासतौर से छात्राओं को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। शौच की बात तो दूर लघुशंका करने के लिए भी बाहर जाना होता है। इस संबंध में प्रधानाध्यापक अरुण कुमार शुक्ला ने बताया कि ग्राम प्रधान की ओर से शौचालय बनवाने का काम शुरू किया गया है परंतु अब तक केवल ढांचा ही खड़ा हो सका है। छह माह से शौचालय निर्माण का कार्य बंद है। शौचालय न होने से बच्चों के साथ अध्यापक अध्यापिकाओं को काफी संकट झेलना पड़ता है। 

केवल 31 स्कूलों में ही दिव्यांग शौचालय

 परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के शौचालय काफी धीमी गति से बन रहे हैं। विकास खंड बरहनी में संचालित 136 में से अब तक केवल 31 स्कूलों में ही दिव्यांग शौचालय बन सके हैं। शेष 105 स्कूलों में दिव्यांगों के लिए शौचालय बनने बाकी हैं। गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल खुलने से पूर्व शौचालय नहीं बनने से दिव्यांग बच्चों को परेशानी हो रही है। विकास खंड में 27 कंपोजिट, 27 उच्च प्राथमिक और 82 प्राथमिक विद्यालय सहित कुल 136 परिषदीय विद्यालय संचालित होते हैं। इन विद्यालयों में दो सौ से ज्यादा दिव्यांग छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं। वहीं आधा दर्जन से ज्यादा दिव्यांग शिक्षकों की भी तैनाती की गई है। ऐसे में दिव्यांग छात्र- छात्राओं व शिक्षकों को शौचालय न होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।


इस बारे में जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना है कि जिले के शौचालय विहीन परिषदीय विद्यालयों की सूची बनाकर संबंधित अधिकारी को भेज दिया गया है। वहीं ग्राम प्रधानों को अधूरे पड़े शौचालयों का निर्माण शीघ्र पूरा कराने का निर्देश दिया गया है। इस पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान दिया जा रहा है।

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