कुर्सी बचने के बाद बोले ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल, सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं

भाजपा समर्थकों का ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल ने जताया आभार
बोले- एक बार फिर हुयी विकास कार्यों की जीत
विरोधियों के सारे आरोप निराधार और बेबुनियाद
चंदौली जिले के चहनिया ब्लॉक में बुधवार को राजनीति का ऐसा घमासान देखने को मिला, जो लंबे समय तक चर्चा में बना रहेगा। हाईकोर्ट के आदेश पर बुलाई गई अविश्वास प्रस्ताव की विशेष बैठक में तमाम सियासी चालों, आरोप-प्रत्यारोपों और इस्तीफों की होड़ के बीच अंततः भाजपा समर्थक ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल की कुर्सी सलामत रही। इस जीत के बाद चहनिया चौराहे पर जीत का जश्न मनाते हुए ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल ने कहा कि एक बार फिर विरोधियों को मुंह की खानी पड़ी है और विकास की जीत हुयी है।

चहनिया ब्लाक में कुल 105 बीडीसी सदस्य हैं । 2023 से ही ब्लाक प्रमुख अरुण जायसवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का खेल चल रहा है, जिसमें हर बार विरोधी खेमे को मुंह की खानी पड़ी है। कहा जा रहा है कि ब्लॉक के 72 क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने पहले ही हलफनामा देकर ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास जताया था, लेकिन जब अविश्वास प्रस्ताव की बैठक हुई, तो केवल 57 सदस्य ही सदन में पहुंचे। यह संख्या अविश्वास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए आवश्यक कोरम से कम थी, जिससे अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो सका।
कहा जा रहा है कि बुधवार को हुयी बैठक से पहले ही माहौल गर्म था। कई महिला बीडीसी सदस्यों ने ब्लॉक प्रमुख पर गंभीर आरोप लगाए कि उनके प्रमाण पत्र जबरन रख लिए गए और उन्हें स्वतंत्र रूप से शामिल होने से रोका गया। सदन में पहुंचे 57 सदस्यों ने भी सामूहिक इस्तीफा देकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए, लेकिन एसडीएम कुंदन राज कपूर ने सभी इस्तीफों को खारिज करते हुए प्रक्रिया को नियमतः मान्य बताया। ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी बचने के साथ ही भाजपा समर्थकों में जश्न का माहौल बन गया। ढोल नगाड़ों के साथ समर्थकों ने विजय यात्रा निकाली और मिठाई बांटकर एक-दूसरे को बधाइयां दीं।

वहीं ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल ने सहयोग करने वाले बीडीसी का आभार जताते हुए कहा कि विरोधियों का दावा और आरोप फेल हो गया है। अविश्वास प्रस्ताव रद्द होने के बाद ब्लॉक प्रमुख अरुण जायसवाल ने कहा कि यह केवल मेरी नहीं, उन सभी बीडीसी सदस्यों की जीत है जो विकास में विश्वास रखते हैं। साजिशों से सत्य को दबाया नहीं जा सकता। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। इस अविश्वास प्रस्ताव के रद्द होने के बाद सबकी पोल खुल गयी है। कोर्ट के आदेश के बाद सारी प्रक्रिया नियमानुसार हुयी और विरोधी चारो खाने चित्त हो गए।
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