चंदौली सांसद ने रेलवे के मंडलीय अस्पताल का देखा बुरा हाल, खुद बीमार मिला रेलवे का ये अस्पताल
चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड का भी बुरा था हाल
आलमारी में बंद थे प्राथमिक उपचार के उपकरण
सांसद बोले- संसद में गूंजेगी निरीक्षण की रिपोर्ट
चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेल मंडल के मंडलीय चिकित्सालय में सोमवार को सांसद वीरेंद्र सिंह रेल मंत्री के द्वारा लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में दिए गए उत्तर का फिजिकल वेरीफिकेशन करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचकर सबसे पहले प्राथमिक उपकरणों के बारे में सवाल किया। कर्मचारियों की ओर से जवाब मिला कि सभी उपकर आलमारी में बंद है। इस तरह का जवाब मिलने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए आइयूडी वार्ड में पहुंच गए।
अस्पताल की दुर्व्यस्थाओं पर सांसद जी ने अत्यधिक नाराज होते हुए कहा कि मुझे रेल मंत्री की ओर से गलत रिपोर्ट दिया गया है। जिसे मैं संसद में उजागर करूंगा। रेल कर्मचारी चिकित्सा संबंधित समस्याएं आती हैं तो खुद अपनी बीमारी का रोना रोने लगता है।
निरीक्षण के दौरान सांसद वीरेंद्र सिंह के तेवर सख्त थे। उन्होंने साफ तौर पर बता दिया कि मैं कोई दुकान चलाने नहीं आया हूं। फिजिकल वेरिफिकेशन की वीडियो ग्राफी कराई जा रही है। अस्पताल में जो अव्यवस्था फैली है। उसे ठीक करा लीजिए। अगली बार अगर कमी मिली तो थाने में बैठ कर मुकदमा दर्ज कराऊंगा। सेवानिवृत्त रेल कर्मचारी के साथ व्यवहार में बदला लाइए। एक मरीज के तीमारदार की ओर से डीआरएम व सीएमएस के सामने डाक्टर की ओर से पां फाड़ने की शिकायत पर सांसद भड़क गए। उन्होंने डीआरएम से कहा कि देखिये आपके सामने की शिकायत है। इसके बाद दूसरे ने मेडिकल में फिट व अनफिट की फाइल पर पांच लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। जिसकी फाइल लेकर सांसद ने खुद डीआरएम को दिया।
बोले कि निष्पक्षता से इसकी जांच कराइये। मेरे पास कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए। आप निस्तारण नहीं कर पाइयेगा तो हमें बताइयेगा। मैं रेलमंत्री के संज्ञान में यहां के भष्ट्राचार को लाऊंगा। सीएमएस के बंद कमरे में गुप्तगू, होने बाद बाहर निकले तो तेवर थोड़े नरम रहे। हालांकि मीडिया से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि निरीक्षण की रिपोर्ट संसद तक गुजरेगी। जो यहां का कृत्य है वो पूरी संसद जानेगी। पूरा समय संसद का अस्पताल में ही बीत गया। उन्हें जंक्शन घूमने का मौका नहीं मिला। अब अगले निरीक्षण में उन्हें शायद कर्मचारियों के आवास व रेल यात्रियों की समस्या से रूबरू होने का मौका मिले।
दशक से जमे डाक्टरों पर उठने लगे सवाल, प्रशासन के पास नहीं जवाब
रेलवे के मंडलीय चिकित्सालय में डाक्टरों की जमात दशकों से जमी है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पास कोई जवाब नहीं मिला। सांसद मुखर होकर अस्पताल प्रशासन से जवाब मांग रहे थे। अस्पताल के ज्यादातर उपकरण रखरखाव के अभाव में बेकार पड़े थे। कोई भी डाक्टर विशेषज्ञ नहीं है। हालांकि इसकी जानकारी मंडल रेल प्रबंधक राजेश गुप्ता तक को है। अस्पताल की शिकायतों से डीआरएम की शिकायतपेटी भर चुकी है। इतना ही नहीं सेवानिवृत्त होने के बाद भी संविदा पर पोस्टिंग पा लेते हैं चिकित्सक। इस कारण यहां की चिकित्सकीय व्यवस्था बेहद खराब होती जा रही है।
मरीजों के तिमारदारों ने दिया धरना
लोको अस्पताल में सांसद वीरेंद्र सिंह के निरीक्षण के दौरान एक मरीज के तीमारदार ने डीआरएम और सीएमएस के सामने डाक्टर की कलई खोल दी। आरोप लगाया कि उसका पर्चा फाड़ दिया गया। वही सांसद के निरीक्षण के दौरान ही कई तिमारदार धरना पर बैठ गए। इस दौरान मेडिकल में फिट व अनफिट की फाइल पास करने के लिए रिश्वत मांगने व रेफर के मामले में भेदभाव का आरोप लगाया। इस दौरान मरीजों की समस्या दूर कराने का सांसद ने निर्देश दिया।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*