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380-मुगलसराय विधानसभा : बाबूजी धीरे चलना.. बड़े रोड़े हैं इस राह में

चंदौली जिले की राजनीति छत्रबली सिंह का बढ़ता हुआ राजनीतिक कद और रसूख कई लोगों की आंख में खटने लगा है।
 

राजनीति के महाबली बनते छत्रबली सिंह

छत्रबली सिंह का होगा और भी विरोध

दलबदलू छबि आ रही है आड़े

भाजपा में कई लोगों की नापसंद

चंदौली जिले की राजनीति छत्रबली सिंह का बढ़ता हुआ राजनीतिक कद और रसूख कई लोगों की आंख में खटने लगा है। एक के बाद एक पदों पर उनकी गड़ रही नजर अब कई लोगों के राजनीतिक करियर के लिए खतरे की घंटी बनने लगी है। इसीलिए भारतीय जनता पार्टी के अंदर छत्रबली सिंह को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। अभी पार्टी के नेता खुले तौर पर भले ही उनका विरोध न कर रहे हों लेकिन अंदरखाने में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि अगर छत्रबली सिंह हर इलाके में बढ़ते हुए दखल को रोका नहीं गया तो चंदौली जिले के बाकी राजनेताओं का भविष्य गर्त में चला जाएगा।

Chhatrabali Singh Sarita Singh

 बताया जा रहा है कि जब से मुगलसराय विधानसभा सीट पर दावेदार बनने की खबर मीडिया में आई है, तब से भारतीय जनता पार्टी के कई नेता सकते में आ गए हैं और उनको यह लगने लगा है कि अगर क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत के बाद अब अगर छत्रबली सिंह विधानसभा की भी राजनीति करने लगेंगे तो पार्टी के और नेता क्या करेंगे..। क्या पार्टी सारे नेताओं को अब छत्रबली सिंह का पिछलग्गू बनाकर रखना चाह रही है। इस तरह की बातें भाजपा के नेता आपस में बैठकर करने लगे हैं। पार्टी के लिए लंबे समय से अपना पसीना बहाकर पद पाने की लालसा में जुटे नेताओं के लिए ऐसे बदल बदलू व बड़े नेताओं की गणेश परिक्रमा करके टिकट पाने वाले नेता खतरा बनते जा रहे हैं।

Chhatrabali Singh Sarita Singh

भाजपा के कई नेता आपस में इस बात को लेकर चिंता भी व्यक्त करने लगे हैं और तरह तरह से बातें कर रहे हैं..इन्हीं चर्चाओं को चंदौली समाचार आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है....

कितना काम आएगा पंचायतों का हथकंडा

 आपको बता दें कि पिछले 15 सालों से अपने इलाके की क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत में अपने राजनीतिक हथकंडे और धनबल का उपयोग करके छत्रबली सिंह ने जिस तरह से विभिन्न दलों के नेताओं को अपने आगे झुकने पर मजबूर किया है, उससे इस बात की चर्चा होनी लाजिमी है। अगर चंदौली जिले की राजनीति में पंचायत के बाद अगर विधानसभा और लोकसभा में भी  छत्रबली सिंह की दखलअंदाजी इसी तरह से बढ़ेगी और वह हर जगह अपनी दावेदारी प्रस्तुत करके बाकी नेताओं को पीछे धकेलने की कोशिश करेंगे, तो इससे एक अच्छा संदेश नहीं जाएगा। भले ही छत्रबली सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में तमाम तरह के मैनेजमेंट के जरिए चुनाव जीतने की कला हासिल कर लिए हों लेकिन विधानसभा की राजनीति के क्षेत्र में वह कितने सफल होंगे.. यह कहा नहीं जा सकता।

कई राजनीतिक विरोधी खोज रहे हैं मौका

 जिला पंचायत की कुर्सी पर बैठकर खुद और अपनी पत्नी के जरिए किस तरह से कार्य किया है और जिला पंचायत के कार्य की क्या गुणवत्ता है कि यह किसी से छुपी नहीं है। जिला पंचायत के कामों पर भाजपा की सरकार बनते ही मौजूदा विधायक सुशील सिंह ने जमकर हमला बोला था और लाखों-करोड़ों के घोटाले के आरोप लगाने के साथ साथ मुख्यमंत्री से जांच कराने की शिकायत की थी, लेकिन छत्रबली सिंह का मैनेजमेंट वहां भारी पड़ा और सुशील सिंह को न सिर्फ अपने मुंह पर ताला लगाना पड़ा, बल्कि उनकी पत्नी को कराने वाले छत्रबली सिंह के खासमखास को न चाहते हुए भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाना पड़ा। सुशील सिंह की पत्नी किरन सिंह को हराने के लिए छत्रबली सिंह ने सपा के दिग्गज नेता रामकिशुन यादव के बेटे का टिकट कटवाया और फिर अपने मैनेजमेंट से सुशील सिंह के जिला पंचायत की सीट पर कब्जा करने के सपने पर पलीता लगा दिया। अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा के विधायक रहते सुशील सिंह छत्रबली सिंह या उनकी पत्नी सरिता सिंह का बाल भी बांका न कर सके। इसीलिए सुशील सिंह क्या उनको अपने समकक्ष देखना चाहेंगे या चुनाव लड़ने की पहल में कितना मदद कर पाएंगे यह तो वही बता पाएंगे।

Chhatrabali Singh Sarita Singh

खूब होती है काम लेने के तरीके व 'रेट' की चर्चा

  चंदौली जिले में जिला पंचायत से जुड़े कर्मचारी अधिकारी या जिला पंचायत के सदस्य इस बात को बखूबी जानते हैं और इस बात की चर्चा भी राजनीतिक गलियारों में बहुत अच्छे तरीके से होती है कि जब से छत्रबली सिंह का दबदबा जिला पंचायत के कार्यालय में बढ़ा है तब से वहां कामकाज करने का तरीका क्या है और काम की क्वालिटी क्या है। कैसे 'रेट' तय करके काम दिए जाते हैं और कैसे कैसे पुराने जिलाधिकारियों ने कैसी कैसी जांच कराकर फाइलें खोलीं थीं। कितने मामले ऐसे मीडिया में आए लेकिन 'मैनेजमेंट के खिलाड़ी' ने सारे जांचकर्ताओं की बोलती अपने हुनर से बंद कर दी।

साम-दाम आता है दंड भेद सीख रहे हैं

अब अगर चंदौली जिले की जिला पंचायत के साथ साथ शहाबगंज की क्षेत्र पंचायत पर अपने खास आदमी बैठाने के बाद उनके अंदर विधानसभा की कुर्सी पर भी कब्जा करने की लालसा जाग गई है, तो बाकी राजनेताओं को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि छत्रबली सिंह.. जहां चाहते हैं वहां पहुंचना वह जानते हैं। वह राजनीति के सारे गुण धीरे धीरे सीखते जा रहे हैं। फिलहाल वह राजनीति में सफल होने के चार गुणों में से वह साम और दाम के बेहतरीन खिलाड़ी बन गए हैं... दंड व भेद वाला मामला बाकी है..लगता है वह भी जल्दी ही उनको भी सीख ही जाएंगे।

Chhatrabali Singh Sarita Singh

बोले रहे हैं कार्यकर्ता नंबर 1

भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यकर्ता नहीं नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि विधानसभा चुनाव की तैयारी करना और टिकट मांगना पार्टी के हर नेता और कार्यकर्ता का अधिकार है, लेकिन आप यह बात जान लीजिए कि मुगलसराय विधानसभा की सीट कार्यकर्ता की सीट है और यहां पर कार्यकर्ता ही चुनाव लड़ेगा। बाहर से आकर कुर्सी हथियाने की कोशिश करने वाले किसी भी नेता की यहां दाल नहीं गलने वाली है। 

बोले रहे हैं कार्यकर्ता नंबर 2

भाजपा नेता की हां में हां मिलाते हुए एक दूसरे पार्टी के नेता ने साफ तौर पर कहा कि मुगलसराय विधानसभा सीट पर चाहे साधना सिंह लड़ें या दर्शना सिंह चाहे पार्टी यह टिकट शशिशंकर सिंह को दे दे या राणा सिंह को या फिर किसी पुराने पार्टी के उपर भरोसा करके टिकट दे दे तो उन्हें कभी भी आपत्ति नहीं होगी। किसी और भारतीय जनता पार्टी के लिए खून पसीना बहाने वाले कार्यकर्ता को दे दी जाए तो भी उन्हें कोई कष्ट नहीं होगा, लेकिन अगर भारतीय जनता पार्टी का आलाकमान किसी ऐसे दलबदलू पर कृपा करेगा और उस को टिकट दे दिया जाएगा तो पार्टी के अंदर एक गलत संदेश जाएगा और पार्टी के कार्यकर्ता कितना छत्रबली सिंह के साथ रहेंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

बोले रहे हैं कार्यकर्ता नंबर 3

पार्टी के एक पुराने नेता ने कहा कि उनकी टिकट मांगने की इच्छा है तो मांग लें, लेकिन पार्टी के आलाकमान को कई बातों पर विचार करके ही मुगलसराय विधानसभा का टिकट किसी दावेदार को देना चाहिए। यह भाजपा की सुरक्षित सीट की तरह है, लेकिन अगर ऐसे किसी दबलू और मौकापरस्त दावेदार को टिकट दिया जाता है तो भाजपा की हाथ से सीट जाते हुए सारे लोग देखने का काम करेंगे।

बोला एक और दावेदार

भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मुगलसराय विधानसभा से चुनाव की लालसा पहले एक और राजनेता ने कहा कि दिल्ली दरबार की परिक्रमा करने से टिकट नहीं मिल जाता है। छत्रबली सिंह चाहे माननीय जी के यहां जाते हो या पांडेय जी के यहां दरबार लगाते हों.. वे दोनों बड़े नेता व पार्टी के कार्यकर्ताओं को सम्मान देने वाले लोग हैं। वह कभी भी ऐसे किसी राजनेता को विधानसभा का टिकट देने की पैरवी नहीं करेंगे जो पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता न रहा हो।

टिकट की दावेदारी करने वाले नेता ने तो यहां तक कह दिया कि एक बात और भी मीडिया के साथियों को जान लेनी चाहिए कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी कभी भी चंदौली जिले के टिकट वितरण में किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं करते हैं और पांडेय जी भी कार्यकर्ता रहे हैं और वह कार्यकर्ताओं की भावनाओं को अच्छी तरह से जानते हैं। वह भी अपनी पैरवी किसी कार्यकर्ता के लिए ही करेंगे। 

छत्रबली सिंह हवाहवाई हो जाएंगे

भारतीय जनता पार्टी के अंदर चल रही इस चर्चा के क्रम में जब एक गांव के पूर्व ग्राम प्रधान और पंचायत की राजनीति में सक्रिय भूमिका रखने वाले भाजपा के कार्यकर्ता से पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि छत्रबली सिंह आने वाले दिनों में हवाहवाई हो जाएंगे। मीडिया बयान व पोस्टर होर्डिंग के जरिए टिकट मांग कर अपना भौकाल बनाने वाले नेताओं के हाथ कुछ नहीं आने वाला है। सब धरा का धरा रह जाएगा। जिला पंचायत की सीट जीतने के लिए भले ही जिला पंचायत के सदस्यों को अपने पाले में कर लिए हो, लेकिन वह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करके टिकट हथियाने में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे।

जिलाध्यक्ष अभिमन्यु सिंह की पहली पसंद

जब इस बारे में जिलाध्यक्ष अभिमन्यु सिंह से बात की गयी तो उन्होंने के कहा कि छत्रबली सिंह की मुगलसराय सीट के लिए दावेदारी लिखा पढ़ी में उनके पास अभी तक नहीं आयी है। वैसे भी टिकट देने व चुनाव लड़ाने का फैसला लेने का काम आलाकमान व बड़े नेताओं का है। जहां तक वह जानते हैं ऐसी स्थिति में पार्टी भी कार्यकर्ता को वरीयता देगी और उनकी पहली पसंद भाजपा का निष्ठावान कार्यकर्ता होगा।

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