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जानिए नौगढ़ में मनरेगा योजना में कैसे-कैसे हो रही लूट... मां-बाप, भैया-भाभी, और साली के खाते में हो रहा भुगतान

जितने दिन काम मजदूरों ने किया है, उतने दिन का पैसा खाते में भेज दिया है। मगर हमें एक फूटी कौड़ी किसी ने नहीं दिया है, और नहीं हमने कोई गलत काम किया है ।
 

नौगढ़ में मनरेगा योजना को कमायी का जरिया

प्रधानजी अपने घर में दे रहे पैसा

घर के लोगों के नाम पर मजदूरी का निकाल रहे पैसा

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में अधिकारियों की कृपा से रोजगार सेवक अपने माता पिता, भैया भाभी और साली के खाते में पैसा डाल कर लूटपाट कर रहे हैं। शहर बसा नहीं चोरों ने अड्डा जमा लिया.... कुछ ऐसा ही खेल विकास खंड नौगढ़ में मनरेगा योजना के मजदूरों के साथ हो रहा है। एक महिला प्रधान की लिखित शिकायत के बाद इस खेल से जुड़े खिलाड़ी बैकफुट में आ चुके  हैं। मामला उजागर होने पर बिना प्रधान के दस्तखत मोहर के ही स्वीकृत की गई पत्रावलीयो को कार्यालय से गायब कर दिया गया है।


आपको बता दें कि लॉक नौगढ़ के बैरगाढ़ गांव में नाले की सफाई कराने के बाद मजदूरों को उनके हिस्से की मजदूरी नहीं मिली, लेकिन रोजगार सेवक ने मजदूरी को अपने पिता शंकर यादव, भाभी सविता देवी और भतीजा ओंकार और अशोक तथा पूर्व प्रधान के परिवार के जनार्दन और उसकी पत्नी रीता समेत दो दर्जन लोगों का जॉब कार्ड बनाने के बाद मस्टरोल निकालकर उनके खाते में डाल दिया है। मगर इस खेल में फंसने का भय कहें, अब रोजगार सेवक के द्वारा  मजदूरी उनको नगद देने को कहा जा रहा है। 

आरोप है कि रोजगार सेवक सुग्रीव सिंह और  ब्लाक में तैनात एक बाबू की मदद से पंचायत मित्र मजदूरी का पैसा हजम कर चुके हैं जबकि बैरगाढ़ गांव के मेन नहर से हीरालाल के खेत तक एवं कमला ताल बंधी से नारायण खरवार के घर तक नाले की सफाई का कार्य भागवत खरवार, रजनीकांत खरवार, नवरंग, प्रहलाद, अवधेश, लक्ष्मण, कमला, प्यारी, सीता, महेंद्र खरवार, बेचू खरवार, हरिनंदन, राजदेव, किशन व अन्य मजदूरों के द्वारा किया गया है घपले बाजी की जानकारी होने पर महिला प्रधान ने मामले की लिखित शिकायत खंड विकास अधिकारी से लेकर पंचायत सचिव से किया है। अभी तक उन्हें मनरेगा मजदूरी का पैसा खाते में नहीं नहीं मिला है।


इस तरह से मजदूरी में किया गया खेल


मनरेगा मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी को उसके खाते में नहीं भेजा जाता, क्योंकि बनाए गए जॉबकार्डो में प्रधान के नजदीकी या रोजगार सेवक के परिवार के लोगों का नाम भी अंकित होता है। ऐसे में ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक  ब्लाक में बैठे संविदा कर्मी, कंप्यूटर आपरेटर को अपने प्रभाव में लेकर इस खेल को बड़े आराम से अंजाम देते हैं। मनरेगा मजदूरों के खाते की जगह फर्जी जॉब कार्ड धारकों का मस्टरोल निकालकर उनके खाते में पैसा भेजा जाता है। पैसा दूसरे के खाते में पहुंचते ही इस रकम को रोजगार सेवक व खाताधारक  आपस में बांट लेते हैं। 


 रोजगार सेवक सुग्रीव सिंह यादव क्या कह रहा है

जितने दिन काम मजदूरों ने किया है, उतने दिन का पैसा खाते में भेज दिया है। मगर हमें एक फूटी कौड़ी किसी ने नहीं दिया है, और नहीं हमने कोई गलत काम किया है ।


क्या कहती हैं निर्वाचित प्रधान शांति देवी


नाले की सफाई का काम जिन मजदूरों से कराया गया है उनके खाते में रोजगार सेवक के द्वारा मजदूरी खाते में नहीं डाली गई। उसने अपने और पूर्व प्रधान के परिवार के लोगों के खाते में डाल दिया है।


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खंड विकास अधिकारी सुदामा सिंह यादव क्या कहते हैं


मामला संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो रोजगार सेवक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा, जांच करके संलिप्त लोगों के विरुद्घ कार्रवाई की जाएगी।

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