नौगढ़ में पेयजल की समस्या का स्थायी समाधान की मांग, अजय राय ने खोला पुराना चिट्ठा
नौगढ़ में पेयजल की गम्भीर समस्या
टैंकर से तत्काल पेयजल की आपूर्ति करने की मांग
जिलाधिकारी से खुद मानिटरिंग करने की अपील
जल जीवन मिशन के काम पर भी नजर रखने की जरूरत
चंदौली जिले के जिलाधिकारी कुछ दिनों पहले मीटिंग करके नौगढ़ में पेयजल की हालत सुधारने व लोगों को साफ व शुद्ध पेयजल देने के लिए विभागीय अफसरों की नकेल कसी थी। लेकिन उसका असर जमीन पर कितना होगा वह आने वाले एक दो सप्ताह में दिखायी देने लगेगा।
कहा जा रहा है कि जिला स्तर की बैठक में नौगढ़ में पेयजल की आपूर्ति करने के सवाल को गम्भीरता से लिया था, लेकिन हुआ क्या.. जो गांव स्तर से रिपोर्ट आ रही है.. वह यह है कि वहा पानी के गम्भीर संकट से लोग जूझ रहे हैं। पीने का पानी की अप्रैल महीने में ही नीचे जाने जा रहा है, जिससे छोटे चापाकल व बोरिंग जबाव देने लगे हैं। कुछ जगहों पर किसी तरह से कुछ चापाकल काम भी कर रहें तो पानी काफी मेहनत से निकलता है।
कहा जा रहा है कि पहले हर ग्राम सभा में एक टैंकर से पीने के पानी की सप्लाई होती थी। गांव सभा के पैसे से व्यवस्था की भी गयी, लेकिन आजकल तो कुछ गांव में टैंकर खराब हैं तो ट्रैक्टर नहीं है। कई गांवों को मिलाकर बढ़े-बढ़े गांवों की निगरानी करने वाले प्रधान दूर दराज के गांवों में पानी सप्लाई बहुत मुश्किल से करवा पाते हैं।
कहा जा रहा है कि नौगढ़ के कई गांवों के प्रधान ने कहा कि चापाकल मरम्मत व बोरिंग कराने के लिए ग्राम सभा में अपर्याप्त धन आ रहा हैं, जिससे रिबोर की समस्या बनी हुयी है। हम लोग किस मद से पेयजल आपूर्ति करें, यह समझ नहीं आ रहा है।
नौगढ़ के भैसौड़ा, जमसोती, भरदुआ सहित कई गांवों में यह दिक्कत बनी हुयी है। वहीं नौगढ़ के सुदूर गांव के निवासियों द्वारा रोजाना पेयजल की संकट को लेकर शिकायत करते रहते हैं। आदिवासियों, वनवासियों और कई गांवों के दलित लोगों को इस समस्या से और जूझना पड़ता हैं क्योंकि यह लोग ज्यादातर जंगल में कई पीढ़ी से रहते हैं और जंगल विभाग उनको चापाकल लगाने के लिए बोरिंग नहीं कराने देता है। नतीजतन उनको गंदे कुएं का पानी पीने के लिए बाध्य होना पड़ता है।
आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा की जनपद के दूरस्थ पिछड़े हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांवों मे गर्मी मे परपंरागत पीने के पानी की व्यवस्था के लिए भारी धन जारी कर दिया गया है फिर भी पेयजल की काफी किल्लत गांव -गांव मे ब्याप्त है।
प्रत्येक गांवों मे पानी टैंकर से पेयजलापूर्ति किए जाने का दावा तो जिला प्रशासन कर रहा है जो कि दिखावटी प्रतीत हो रहा है। लोग मजबूरन नदी नालों का गंदा पानी पीने को विवश हैं। कुछ साल पहले 5 करोड़ 14 लाख रुपये की धनराशि जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायतों के खातों में प्रेषित किया था। धन आहारित करके ग्राम पंचायतों ने शुद्भ पेयजल टैंकरों से मुहैया कराने का कागजी आंकड़ा भी प्रस्तुत कर दिया, लेकिन जमीनी हकीकत इसके काफी विपरीत रही।
इस वर्ष भी करोडों रुपये की धनराशि से ऩौगढ के 43 ग्राम पंचायतों मे शुद्भ पेयजल मुहैया कराने का प्राक्कलन तैयार किया गया है, लेकिन यदा कदा कहीं-कहीं पानी से भरे टैंकर दिखलाई पड़ रहे हैं। क्षेत्र में करीब 5 हजार सरकारी हैण्डपम्प व भैसौडा़ बांध के पानी से 6 गांव व 7 गांवों में पानी की टंकी बनाकर के जल निगम दा्रा पेयजलापूर्ति की सुविधा मुहैया कराए जाने के बाद भी क्षेत्र में घोर जल संकट ब्याप्त है।
नौगढ तहसील क्षेत्र की कुल आबादी करीब एक लाख ही है। आबादी के हिसाब से पेयजल के संसाधनों की काफी अधिकता होने पर भी ब्याप्त पेयजल संकट के लिए जल निगम जिम्मेदार हैं, क्योंकि चट्टानी क्षेत्र में सरकार दा्रा एक हैण्डपम्प की स्थापना पर 1 लाख 24 हजार की धनराशि स्वीकृत करके 100 मीटर बोरिंग करने का मानक निर्धारित किया है, लेकिन क्षेत्र में शायद ही कोई ऐसा हैण्डपम्प हो जिसमें मानक का अनुपालन किया गया हो। 100 से 200 फीट तक ही बोरिंग कराकरके जल निगम घटिया किस्म का पाईप छड़ सिलेण्डर प्रयुक्त कराया है, जिससे आए दिन हैण्डपम्प में तकनीकी खराबी आती है। साथ ही गर्मी के दिनों मे जलस्तर नीचे चले जाने से पानी निकलना दूभर हो जाता है।
वही हाल में क्षेत्र के 13 गांवों में पाईप लाईनों से पेयजलापूर्ति का भी प्लान है, जो शोपीस बनकर खड़़ी पानी की टंकियां व पाईप लाईन आपरेटरों व जल निगम कर्मियों की मनमानी से दिखावा साबित हो रही हैं, जबकि जलकर का भुगतान उपभोक्ताओं को करना पड़ेगा। लौवारी, जमसोती, नौगढ, बनवासी बस्ती, झुमरियां, धोबही, होरिला, भरदुआ, पड़ौती, हथिनी, जमसोत सहित कई गांव में हैण्डपम्प, कुआं और नलकूप, स्थापना व किसानों के खेतों कूप खोदने मे मानक के विपरीत कार्य करने वाली कार्यदायी संस्थाओं के विरुद्ध जांचोपरांत मुकदमा दर्ज कराए जाने की मांग किया है।
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