जिले का पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना तेज, अभी भी टेंडर का इंतजार

रौना गांव में लगेगा जिले का पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
45 एमएलडी होगी इसकी क्षमता, 262 करोड़ से लगेगा एसटीपी
जमीन अधिग्रहण और टेंडर की प्रक्रिया पूरी होते ही शुरू हो जाएगा काम
चंदौली जिले के मुगलसराय से सटे रौना गांव में जिले का पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने का रास्ता साफ हो गया है। 7 साल के जद्दोजहद के बाद नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) की ओर से 262.78 करोड़ रुपये की लागत से रौना गांव में 45 एमएलडी क्षमता का एसटीपी लगाने की अनुमति दी गई है। उधर, दो हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत करने के लिए निर्धारित धनराशि का अधिकांश हिस्सा जिले को प्राप्त हो चुका है। अधिग्रहण और टेंडर की प्रक्रिया पूरी होते ही एसटीपी के निर्माण का काम शुरू हो जाएगा।

आपको बता दें कि नगर पालिका क्षेत्र और रेलवे का सीवेज गंगा नदी में बगैर शोधन के गिर रहा है। इससे गंगा जल प्रदूषित हो रहा है। इस समस्या के समाधान के बाबत एसटीपी लगाने के लिए वर्ष 2018 में जमीन की तलाश शुरू हुई थी। काफी जद्दोजहद के बाद 2019 में रौना गांव में जमीन मिली। इसके बाद जमीन अधिग्रहण में समस्याएं आने लगीं। वर्ष 2023 में जमीन की खरीद के लिए रास्ता साफ हुआ। जमीन अधिग्रहण के लिए शासन के पास प्रस्ताव भेजा गया।
इस बीच आबादी बढ़ने के कारण गंगा नदी में गिरने वाले सीवेज की मात्रा भी बढ़ गई। पहले जहां 37 एमएलडी क्षमता के एसटीपी की प्रस्ताव तैयार किया गया था, बाद में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को फिर से उसकी क्षमता बढ़ाकर 45 एमएलडी का प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के पास भेजना पड़ा। काफी जद्दोजहद के बाद अब 262.78 करोड़ रुपये की लागत वाली 45 एमएलडी क्षमता के एसटीपी की योजना को स्वीकृति प्रदान की गई है।
जमीन अधिग्रहण की बढ़ी धनराशि
मुगलसराय में जिला प्रशासन पिछले छह साल से रौना गांव में जमीन अधिग्रहण के लिए प्रयास कर रहा है। पहले करीब दो हेक्टेयर जमीन के लिए जिला प्रशासन ने 3.58 करोड़ रुपये की मांग प्रमुख सचिव नगर विकास से की थी। बाद में सर्किल रेट बढ़ने के चलते यह धनराशि बढ़ गई। इसके बाद जिलाधिकारी की ओर से जमीन अधिग्रहण के लिए चार करोड़ रुपये की मांग की गई। हालांकि शासन की ओर से लगभग 3.58 करोड़ रुपये भेज दिए गए हैं। अब फिर बची धनराशि लगभग 42 लाख रुपये की शासन से मांग की गई है।
लेढुआपर में बनेगा सीवेज पंपिंग स्टेशन
गंगा नदी में दो बड़े नालों से सीवेज गिरता है। इसमें एक रौना गांव में है और दूसरा लेद्आपर मवई के पास है। लेहुआपर मवई में गिरने वाले नाले से सीवेज को पाइप लाइन के माध्यम से रौना तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए 3.75 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई जाएगी। वहां से सीवेज को रौना तक पहुंचाने के लिए लेढुआपर में 17 एमएलडी का सीवेज पंपिंग स्टेशन भी बनाया जाएगा। नगर क्षेत्र और रेलवे समेत कुल 32 एमएलडी सीवेज गंगा नदी में गिरता है। इसमें सबसे ज्यादा रेलवे के क्षेत्र से सीवेज निकलता है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार नगर क्षेत्र से लगभग नौ एमएलडी और रेलवे से 23 एमएलडी सीवेज गंगा नदी में गिरता है।
इस सम्बंध में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई वाराणसी के प्रोजेक्ट मैनेजर आशीष कुमार ने बताया कि 45 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के लिए भेजे गए प्रस्ताव को नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की ओर से स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। रौना गांव में 37 एमएलडी क्षमता का एसटीपी लगाने का प्रस्ताव था, लेकिन भविष्य में बढ़ने वाली आबादी को ध्यान में रखते हुए एसटीपी की क्षमता बढ़ाई गई है। जमीन अधिग्रहण और टेंडर की प्रक्रिया जल्दी ही पूरी की जाएगी।
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