चंदौली जिले में बनेगा मदर मिल्क बैंक, 8 माह तक सुरक्षित रहेगा मां का दूध
चंदौली जिले में मां का दूध नहीं मिलने से अब किसी शिशु की मौत नहीं हो सकेगी। इसके लिए जिला अस्पताल में मदर मिल्क बैंक की स्थापना होगी।
1.40 करोड़ की लागत से जिला अस्पताल में मदर मिल्क बैंक का होगा निर्माण
अब माँ के दूध की कमी के वजह से नहीं होगी बच्चों की मौत
माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाएगा मां का दूध
मदर मिल्क बैंक में रखा गया मां का दूध 8 माह तक रहेगा सुरक्षित
बिन माँ के बच्चों को मिलेगा इसका सहारा
चंदौली जिले में मां का दूध नहीं मिलने से अब किसी शिशु की मौत नहीं हो सकेगी। इसके लिए जिला अस्पताल में मदर मिल्क बैंक की स्थापना होगी। इस पर लगभग एक करोड़ 40 लाख रुपये खर्च होंगे। इसके लिए अस्पताल परिसर में भूमि की तलाश शीघ्र की जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम यहां आएगी। भूमि की उपलब्धता की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगा। स्वीकृति मिलने के साथ ही निर्माण प्रारंभ कराया जाएगा। बैंक की स्थापना के बाद महिलाएं दूध दान कर सकेंगी।
आपको बता दें कि जिला अस्पताल में मेडिकल कालेज के लिए अस्पताल संचालन की घोषणा के बाद से ही यहां सभी तरह व्यवस्थाएं की जा रहीं। ताकि सभी प्रकार की जांचें हों सके और अस्पताल से हर सुविधा मरीजों को दी जाए। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार की ओर से सभी जिला महिला चिकित्सालयों में इस बैंक की स्थापना की कवायद की जा रही। यहां जिला महिला अस्पताल नहीं है। जच्चा-बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए हेरिटेज की मदद से जिला चिकित्सालय परिसर में ही एमसीएच विंग का संचालन किया जा रहा।
वहीं अभी तक जिला स्तर पर मदर मिल्क बैंक की सुविधा नहीं है। प्रसव के बाद माता की अचानक मृत्यु, इंफेक्टेड
होने अथवा किसी अन्य कारण से नवजात शिशु स्तनपान नहीं कर पाता है तो मदर मिल्क के अभाव में पैकेट बंद दूध का सेवन कराया जाता है। इसका असर उसके स्वास्थ्य व विकास पर पड़ता है। इसके दृष्टिगत मंत्रालय की ओर से मदर मिल्क बैंक की स्थापना का निर्णय लिया है। स्वस्थ माताएं ही दूध कर सकती हैं डोनेट राजकीय महिला चिकित्सालय पीडीडीयू नगर के अधीक्षक डा. एसके चतुर्वेदी ने बताया कि मदर मिल्क बैंक में दूध डोनेट करने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की पूरी जांच की जाती है। इस जांच में यह पता लगाया जाता है कि कहीं संबंधित महिला को कोई बीमारी तो नहीं है। दानदाता मां के पूर्णरूप से स्वस्थ होने पर ही वह दूध डोनेट कर सकती हैं अन्यथा नहीं। स्टोर में दूध को माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है। यह दूध छह से आठ माह तक खराब नहीं होता है। जरूरतमंद शिशु को यह दूध दिया जा सकता है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ सत्य प्रकाश ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार की ओर से प्रत्येक जिला महिला अस्पताल में मदर मिल्क बैंक खोलने की पहल की गई है। यहां जिला अस्पताल परिसर में महिला विंग है। इसलिए इसकी स्थापना यहीं होनी है, भूमि देखी जा रही।
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