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सिकटिया गांव के हत्याकांड का है राजनीतिक कनेक्शन, इस नेता की भी है पुलिस को तलाश

चंदौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के सिकटिया गांव में हुए जातीय संघर्ष और हत्याकांड की कहानी कहीं ना कहीं राजनीतिक रूप लेती नजर आ रही है और इस पूरे घटनाक्रम के पीछे राजनीतिक सोच और राजनेताओं की हरकत भी सामने आ रही है।
 

सिकटिया गांव के हत्याकांड का मामला 

राजनीतिक कनेक्शन से भी जुड़ा 

इस नेता की भी है पुलिस को तलाश

चंदौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के सिकटिया गांव में हुए जातीय संघर्ष और हत्याकांड की कहानी कहीं ना कहीं राजनीतिक रूप लेती नजर आ रही है और इस पूरे घटनाक्रम के पीछे राजनीतिक सोच और राजनेताओं की हरकत भी सामने आ रही है। इस पूरे मामले में नामजद 10 लोगों में एक समाजवादी पार्टी का सक्रिय युवा नेता भी शामिल है, जो पूर्व विधायक बब्बन चौहान का करीबी और पूर्व सांसद रामकिशुन यादव का भी नजदीकी माना जा रहा है।

 पुलिस अपनी जांच पड़ताल में इसी युवा सपा नेता अमर जायसवाल उर्फ मोनू को इस मामले को भड़काने और आग में घी डालने वाला मान रही है और घटना के बाद से फरार चल रहे मोनू को गिरफ्तार करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। गांव के लोगों से मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि छठ पूजा के दौरान तारनपुर गांव की दुसधान बस्ती और सिकटिया गांव के बीच कहासुनी हुई थी। सिकटिया गांव निवासी यादव बस्ती के एक युवक की इस दौरान बाइक भी तोड़ दी गई थी, जब मामला थाने में पहुंचा तो दोनों पक्ष इस बात पर राजी हो गए की बाइक को ठीक कराने में जो भी खर्च आएगा उसे दोनों पक्ष वहन करने का काम करेंगे।

Political Angle Aliagar Police Insvestigation

 पुलिस का कहना है कि इस बात के लिए अमर जायसवाल उर्फ मोनू राजी भी हो गया था और इस मामले में मोनू जायसवाल ने एक पक्ष से 5 हजार रुपए खुद देने की बात कबूल की थी, लेकिन बाद में उसे वह पैसे देने से मुकर गया है, जिससे लोगों में आक्रोश बरकरार रहा।

 कहा जा रहा है कि अमर जायसवाल उर्फ मोनू मुगलसराय नगर पालिका से चेयरमैन पद के दावेदार के रूप में अपनी चुनावी तैयारी को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है और इस दौरान अपने कुछ चुनिंदा मन बढ़ किस्म के लोगों को संरक्षण भी प्रदान करता है। इसीलिए वह नहीं चाहता था कि दोनों पक्ष के बीच में समझौता हो। संभवत इसी वजह से यह मामला और भी भड़क गया।

Political Angle Aliagar Police Insvestigation

 हालांकि मामले में अलीनगर पुलिस का दावा था कि दोनों गांव के बीच हुए विवाद को सुलह समझौते से सुलझा लेने का उसका प्रयास कहीं न कहीं फेल साबित हुआ और थाने में तो दोनों पक्ष राजी हो गए थे, लेकिन घर जाने के बाद वह बात से पलट गए। पुलिस इस मामले पर फॉलो अप नहीं कर पाई और मामला हाथ से निकल गया। अगर पुलिस इस मामले पर अपनी नजर रखते तो इस हत्याकांड को टाला जा सकता था।

इस संबंध में अलीनगर थाना थाना प्रभारी ने बताया कि इस मामले में यह केवल आपसी बातचीत के दौरान वर्चस्व के कारण कहासुनी चल रही थी, तभी किसी व्यक्ति के द्वारा पत्थर से हमला कर दिया गया और उसकी मौत हो गई, लेकिन अभी तक पत्थर मारने  वाला फरार चल रहा है। फरार लोगों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित करके आज भी गिरफ्तारी का अभियान चल रहा है, जल्द ही सारे लोग पकड़ लिए जाएंगे।

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