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देख लीजिए डीएम साहब चंदौली जिले में अमृत सरोवरों का हाल, कैसे होगा इनका जीर्णोद्धार ​​​​​​​

वर्तमान में 169 अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है। इन सरोवरों पर न्यूनतम 10 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन सरोवरों पर कराए गए पक्के कार्य की दुर्दशा देखते ही नही बन रही है। 
 
चंदौली जिले में वर्तमान में 169 अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है। इन सरोवरों के घाट पर सीढी़, पक्का गाजरे ग्रामीणों के बैठने के लिए बेंप, ध्वजारोहण के लिए पबूत का निर्माण सहित अन्य कार्य कराने में प्रत्येक सरोवर पर न्यूनतम 10 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन सरोवरों पर कराए गए पक्के कार्य की दुर्दशा देखते ही नही बन रही है। 

अधिकांश सरोवर की सीढी़या तो जर्जर हो गई है। पाथवे झाड़ झंखाड़ में अटे-पटे हुए हैं। सरोवर के पानी से दुर्गंध उठ रही है ।


आपको बता दें कि सैयदराजा के बरठी कमरौर गांव में चार एकड़ में फैले पुराने तालाब को वर्ष 2002 में हिलक अमृत सरोकर के रूप में छह लाख 74 हजार रुपए से विकसित किया गया। सुंदरी करण के साथ सीमेंट की चार कुर्सियां रखी गई। बीते दो वर्षों में अमृत सरोवरों के निर्माण में लाखों रुपये खर्च हुए हैं। फिर भी यहाँ बैठने के लायक नही है। वहीं आज भी काया है। घाट की सीढी़यो पर गंदगी की इतनी दुर्गंध आती है की बताया नही जा सकता। 

सरोवर के बगल में अमृत सरोवर का निमार्ग कराया गया है, लेकिन देखरेख के अभाव में सूख गए हैं। वहां झाड़ियों ने अपनी जगह बना ली है। 

वही महुजी गांव में पुराने पोखरे को 2022-23 वित्तीय वर्ष मे अमृत सरोवर बना दिया गया। बैठने के लिए व्यवस्था की गई लेकिन क्षतिग्रस्त हो कर गिर गए हैं। सरोवर के चारों तरफ पाथवे कच्चा है।


शहाबगंज के मनकपड़ा गांव में तालाब को अमृत सरोवर के रूप में चयन किया गया, लेकिन पक्का कार्य हुआ ही नहीं है। जबकि इस तालाब पर क्षेत्र की महिलाएं छठ पूजा करती हैं, लेकिन एक घाट नहीं होने के कारण महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ती है। बबुरी के सोनईडील गांव में अमृत सरोवर के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई है। सरोवर के किनारों पर तीन तरफ पाथवे का निर्माण नहीं हुआ। वहीं तालाब पर बनाई गई सीढ़ी पर प्लास्टर भी नहीं कराया गया। 


पश्चिमी छोर पर नया घाट बना लेकिन प्लास्टर नहीं हुआ। ताराजीवनपुर के सराय पकवान गांव में महाराणा प्रताप अमृत सरोवर तालाब बदहाल पड़ा है।

जल संरक्षण को लेकर वर्ष 2022-23 के वित्तीय वर्ष में चकिया क्षेत्र के महादेवपुर ग्राम पंचायत स्थित अमृत सरोवर आमजन की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। लगभग आठ बीघा के क्षेत्रफल में बने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय सूबेदार सिंह अमृत सरोवर लगभग सुंदरीकरण को लेकर तरस रहा है। जिला पंचायत निधि से मनरेगा के तहत 24 लाख 90 हजार रुपये स्वीकृत हुआ। जिला पंचायत अध्यक्ष दीनानाथ, पूर्व अध्यक्ष छत्रबली सिंह ने बाकायदा शिलान्यास किया। जनप्रतिनिधियों के नाम का शिलापट्ट लगा दिया गया। 

ठेकेदारी प्रथा से हुए सुदरीकरण कार्य के लिए 14 लाख 26 हजार 227 रुपए अवमुक्त भी हो गए, लेकिन आज तक अमृत सरोवर रूप नहीं दिया जा सका। चौकाने वाली स्थिति यह है कि पिछले स्वतंत्रता दिवस पर अमृत महोत्सव के तहत वीर जवानों के नाम का शिलापट्ट लगाया जाना मुनासिब नहीं समझा गया। तिरंगा लहराने के लिए सीमेंट, बालू, ईंट से गोलाकार चबूतरा बनाकर लोहे की पाइप लगा दी गई। पाइप में लगा तिरंगा जीर्ण अवस्था में धूमिल अब भी पड़ा हुआ है। सरोवर में पानी आने व निकासी की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण सरोवर में बूंद भर पानी नहीं। 


सरोवर के दो छोर पर बनी सीड़ी मानक की अनदेखी किए जाने की सच्ची तस्वीर उजागर करते हुए दम तोड़ चुकी है। अमृत सरोवर की बहाली देखते ही बन रही है। पाथवे, बैठने के लिए बेंच नहीं बन सके हैं। सरोवर के भीटे पर पर्यावरण की दृष्टि से एक भी पौध नहीं रोपित किए जा सके है।

                                                                                                         

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