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आपके नौगढ़ में ऐसा भी हो रहा है DM साहब, केवल जांच नहीं, कुछ लोगों को नाप भी दीजिए

पंचायतों के प्रतिनिधि अपनी सेटिंग गेटिंग करके और अफसरों को मुंहमांगी रकम देकर मनमाना काम करते हुए लाखों का गोलमाल कर रहे हैं।
 

नौगढ़ में ऐसा भी हो रहा है DM साहब

लाखों का गोलमाल

चंदौली जिले के नौगढ़ विकास खंड नौगढ़ मलाई काटने वालों के लिए स्वर्ग बनता जा रहा है, यहां पंचायतों के प्रतिनिधि अपनी सेटिंग गेटिंग करके और अफसरों को मुंहमांगी रकम देकर मनमाना काम करते हुए लाखों का गोलमाल कर रहे हैं। कमीशनखोरी के दम पर मनमानी करने वाले इन ग्राम प्रधानों के किसी काम का ब्लॉक के किसी अधिकारी व कर्मचारी के पता ही नहीं चलता है। जब पंचायत के कामों में लाखों के भुगतान की शिकायत होती है तो ब्लॉक के अधिकारी व कर्मचारी जांच कर कार्रवाई का नाटक शुरू करते हैं। ऐसा ही एक और मामला प्रकाश में आया है और आप इसका नमूना खुद देख सकते हैं। 

कहा जा रहा है कि नौगढ़ के कई गांवों में बिना काम किए कई सालों से रोजगार सेवकों को वेतन तो दे दिया जा रहा है और मनरेगा के कार्यों की पत्रावलियों में बिना उनके हस्ताक्षर किए करोड़ों रुपये के कार्यों का भुगतान कर दिया जा रहा है। इस मामले का खुलासा जिलाधिकारी के संपूर्ण समाधान दिवस के दिन हुआ था, जब आठ रोजगार सेवक डीएम संजीव सिंह के पास पहुंचकर काम मांगने लगे थे।

रोजगार सेवकों का कहना था कि चार-पांच सालों से उन्हें न तो काम ही नहीं मिल रहा है, हां वेतन जरूर खाते में मिल जा रहा है। वहीं मनरेगा का कार्य प्रधान और अन्य अधिकारी किसी प्राइवेट व्यक्ति को रखकर करा रहे हैं। डीएम साहब इसी तरह से सेटिंग व कमीशन का खेल चल रहा है। इसके बाद डीएम ने बीडीओ को मामले की जांच कराने का आदेश दिया है।

रोजगार सेवकों का कार्य ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम कराने के साथ ही मजदूरों का मास्टर रोल आदि निकालना और कार्यों की देखरेख करना है। इसके साथ ही मनरेगा के कार्यों की पत्रावलियों पर बिना रोजगार सेवकों के हस्ताक्षर के भुगतान नहीं होता पर आरोप है कि कई गांवों के विकास कार्यों की पत्रावलियों में बिना रोजगार सेवक के हस्ताक्षर के ही करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। 

कहा जा रहा है कि नौगढ़ के चमेरबांध, चुप्पेपुर, गढ़वा, मझगावा, अमृतपुर, मलेवर, बैरगाढ़, मरवटिया, देवरी कला, लौवारी कला, लोवारी खुर्द, जमसोती, लेड़हा देवदत्तपुर, बोदलपुर, तेंदुआ के रोजगार सेवक रामतेज, कैलाश यादव, सुदामा यादव, सुग्रीव यादव, तारकेश्वर यादव, सुरेंद्र कुमार, जयप्रकाश जिज्ञासु, सुभाष यादव को पिछले चार-पांच सालों से इस कार्यों से दूर कर दिया गया है। हालांकि वह कहीं और जाकर शिकायत न कर सकें इसलिए उनका पूरा वेतन हर महीने दे दिया जाता है। 

संपूर्ण समाधान दिवस पर नौगढ़ आए जिलाधिकारी को बाकायदा रोजगार सेवकों ने शिकायती प्रार्थना पत्र दिया। अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताया कि हम लोगों से काम नहीं लिया जा रहा है और प्रधान प्राइवेट आदमी रखकर काम करा रहे हैं। रोजगार सेवकों के बिना आवेदन के धड़ल्ले से मस्टररोल निकाला गया है। पत्रावलियों पर रोजगार सेवक के दस्तखत नहीं है और लाख में नहीं करोड़ों रुपये का भुगतान किया जा चुका है। 


ऐसे में जिलाधिकारी संजीव सिंह ने खंड विकास अधिकारी सुदामा यादव को डांट फटकार लगाते हुए मामले का प्रार्थना पत्र अपनी डायरी में रख लिया था और पूरे मामले की जांच कराने को कहा था। डीएम ने कुछ गांवों में बिना हस्ताक्षर के भुगतान पर सवाल जवाब भी किया है। 

मामले में चमेरबांध के रोजगार सेवक कैलाश यादव और मझगावां के रामतेज ने बताया कि पांच साल तक मनरेगा की फाइलों पर दस्तखत कराए बिना भुगतान किया जा रहा है। लेकिन सोशल ऑडिट के दौरान हम लोगों से पूछताछ किया गया।


 यह सब कैसे हुआ उनको कुछ नहीं मालूम


नौगढ़ के खंड विकास अधिकारी सुदामा यादव का कहना है कि रोजगार सेवकों की शिकायत है कि बहुत सारे ऐसे कार्यों पर भुगतान हुआ है, जो मौके पर नहीं है। मनरेगा की तकनीकी सहायकों ने एमबी भी कर दिया है। जब खबरें छपती हैं तो आनन-फानन में दिन रात एक कर के निर्माण भी करा दिया जाता है। बिना किसी काम के रोजगार सेवकों को नियमित मानदेय उनके खाते में दिया जा रहा है। अन्य आरोपों की जांच की जा रही है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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