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सुरक्षित अन्न भण्डारण की कर लीजिए तैयारी, इन बातों का जरूर रखें ध्यान

फसल कटाई के उपरान्त भण्डारण में होने वाली क्षति में से अकेले कीटों का योगदान 2-4.2 प्रतिशत है। भारत में भण्डारित उत्पादों में कीटों की लगभग 100 प्रजातियाँ आर्थिक क्षति पहुँचाने का कारण बनती हैं।
 

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सुरक्षित अन्न भण्डारण के लिए ध्यान देने वाली खास बातें

असुरिक्षत अन्न भण्डारण में कीड़े, कृंतक, सूक्ष्म जीवों आदि के कारण फसल कटाई के बाद होने वाली क्षति खाद्यान्न का लगभग 10 प्रतिशत होता है। भारत में वार्षिक भण्डारण हानि का अनुमान 14 मिलियन टन है जिसकी कुल अनुमानित क्षति लगभग रु0 7000 करोड़ में से अकेले कीटों द्वारा लगभग 1300 करोड़ की क्षति होती है। फसल कटाई के उपरान्त भण्डारण में होने वाली क्षति में से अकेले कीटों का योगदान 2-4.2 प्रतिशत है। भारत में भण्डारित उत्पादों में कीटों की लगभग 100 प्रजातियाँ आर्थिक क्षति पहुँचाने का कारण बनती हैं। अतः सुरक्षित अन्न भण्डारण के उपाय करने से प्रतिवर्ष होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है तथा अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त किया जा सकता है।

भण्डारण में कीटों के प्रकोप का प्रमुख कारण
1-    नमी भण्डारित अन्न में यदि 10 प्रतिशत से अधिक नमी होती है तो कीटों की संख्या बढ़ने लगती है तथा अनाज में फफूँद भी तेजी से बढ़ती है फलस्वरुप अनाज में जमाव क्षमता कम हो जाती है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते हैं।
2-    आक्सीजन की उपलब्धता यदि भण्डारण कक्ष या पात्र में पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध है तो कीटों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। जिसको नियंत्रित किया जाना आवश्यक है।

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3-    तापक्रम-कीटों की बढ़वार एवं विकास के लिए 25-27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त होता है। भण्डारण कक्ष में उपयुक्त तापमान बनाये रखने के लिए कीट हीट स्पॉट विकसित करते हैं। भण्डारण कक्ष का तापमान कम रखते हुए कीटों की बढ़वार रोकी जा सकती है।

सुरक्षित अन्न भण्डारण हेतु सुझाव / संस्तुतियाँ
1-    फसल की कटाई से लेकर भण्डारण कक्ष तक पूर्ण सावधानी बरतते हुए अनाज को लाना चाहिए जिससे अनाज में कीट की कोई प्रावस्था न रह जाये।
2-    जिस गोदाम, कुठला, भण्डारण गृह में भण्डारण करना है, उसकी भली प्रकार सफाई एवं मरम्मत करा लेना चाहिए। दरार या बिल आदि पूरी तरह सीमेंट से बंन्द कर देना चाहिए, जिससे चूहे, कीट या नमी का प्रवेश न हो।
3-    भण्डारण से पूर्व भण्डारण गृह, कुठला, बखारी आदि को मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० की 1:100 के अनुपात में घोल बनाकर 3 लीटर / 100 वर्गमीटर की दर से फर्श, दीवार एवं क्षत पर छिड़काव करने से छिपे हुए कीट मर जाते हैं।
4-    पुराने बोरों को कड़ी धूप में सुखाने या मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० के 1:100 के अनुपात के घोल में 10 मिनट भिगोने से बोरों में छिपे कीट मर जाते हैं।
5-    अनाज को अच्छे प्रकार से धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे दानों में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रह जाये। धूप में सुखाने के पश्चात ठण्डा करके ही भण्डारण पात्रों आदि में रखना चाहिए।
6-    यदि भण्डारण कक्ष / गोदाम में भण्डारण करना है तो फर्श पर 2.5 फिट मोटी, साफ, सूखा एवं नये भूसे की ता लगाकर बोरों की छल्ली दिवार से 2.5 फिट की दूरी पर लगाना चाहिए जिससे गोदाम में नमी से बचत होती है।
7-    यदि भण्डारण कक्ष में बोरियों में भण्डारण करना है तो पूरी ऊँचाई का 1/5 भाग छोड़कर ही बोरियों की छल्ली लगाना चाहिए तथा कीटों की सुरक्षा की दृष्टि से एल्यूमीनियम फारफाइड पाउडर पाउच 56 प्रतिशत 10 ग्राम पैकिंग का 150 ग्राम / 100 घनमीटर या एल्यूमीनियम फारफाइड 15 प्रतिशत 12 ग्राम पैकिंग का 600 ग्राम / 100 घनमीटर की दर से बोरियों के बीच रख देते हैं तथा भण्डारण कक्ष को अच्छी तरह से बंद कर वायु रोधी कर देना चाहिए। एल्यूमीनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56 प्रतिशत के पैकेट को किनारे से काटकर अन्दर के पाउच को निकालकर वैसे ही बोरियों के बीच में रखना चाहिए जबकि एल्यूमीनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत की टेबलेट को कपड़े में लपेट कर रखना चाहिए।
8-    यदि अनाज का भण्डारण कुठलों या बखारी में करना है तो एल्यूमीनियम फास्फाइड 56 प्रतिशत 10 ग्राम पाउडर की एक पाउच  एक मे०टन अनाज में पूर्व में बताये गये तरीके के अनुसार अनाज के बीच में रखकर कुठला या बखारी को पूरी तरीके से वायु रोधी कर देना चाहिए।
9-    भण्डारण पात्रों की पेंदी पर बीच बीच में एवं अनाज के साथ नीम की सूखी पत्तियों रखने पर कीट का प्रकोप नहीं होता हैं। अनाज को बखारी या बोरों में भण्डारित करने से पूर्व नीम सीड करनल / निमोली पाउडर 1 किग्रा० प्रति कुंतल अनाज की दर से मिला देने पर कीट का प्रकोप नहीं होता है।
10-    प्याज और आलू के भण्डारण से पूर्व फर्श पर बालू की मोटी तह बिछाकर रखने से उच्च तापक्रम से बचा जा सकता है।
11-    बीज में प्रयोग हेतु भण्डारित किये जाने वाले अनाज को मैलाथियान 5 प्रतिशत पाउडर 250 ग्राम प्रति कुंतल मिलाकर भण्डारित करना चाहिए।
उपर्युक्त दिये गये सुझाव एवं संस्तुतियों में रसायनों का प्रयोग किसी तकनीकी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए। कृषि विभाग, उ०प्र० द्वारा विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट / रोग योजनान्तर्गत समस्त कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर (अधिकतम रु0 2000 प्रति बखारी) 24 गेज के 5, 3 एवं 2 कुंतल के बखारियों पर अनुदान की व्यवस्था है। विभागीय पोर्टल पर पंजीकृत कृषक डी०बी०टी० के माध्यम से अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।

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