..तो क्या आखिरी समय में बदलेगा समाजवादी पार्टी का कंडीडेट, सुरेन्द्र पटेल कर रहे मनाने की कोशिश
चंदौली में सपा के टिकट पर कई खेमे में कार्यकर्ता
जोर नहीं पकड़ पा रहा है वीरेन्द्र सिंह का प्रचार
इसलिए हो रही है टिकट बदलने की चर्चा
पूरे प्रदेश में जिस तरह से समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशियों के टिकट बदल रही है, उसको लेकर चंदौली जिले में भी समाजवादी पार्टी के कई दावेदार में कार्यकर्ता इस बात से इनकार नहीं कर रहे हंक कि अंतिम समय में नामांकन के पहले चंदौली जिले में भी समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बदल जाएगा और भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी की हैट्रिक रोकने के लिए किसी चंदौली जनपद के रहने वाले मजबूत दावेदार को ही टिकट मिलेगा। जिस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर दिग्गजों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया है, तो उसी तर्ज पर चंदौली में भी बदलाव की संभावनाएं तेज हैं।
ऐसी स्थिति में समाजवादी पार्टी का चुनाव प्रचार वह गति नहीं पकड़ पा रहा है, जैसे उन्हें मजबूती के साथ चुनाव लड़ने के लिए चाहिए। अलग-अलग धड़ों में बटी हुई समाजवादी पार्टी के नेताओं को एकजुट करने की जिम्मेदारी फिलहाल समाजवादी पार्टी सरकार के पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल को चुनाव संचालन समिति का कोऑर्डिनेटर बनाकर दी गई है और वह कोशिश भी कर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी के अलग-अलग धड़ों को एक साथ चुनाव प्रचार में उतार सकें, लेकिन अभी तक उनके द्वारा किए गए सारे प्रयास फिलहाल जमीन पर फलीभूत होते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं।
होली के बाद सबसे पहले सुरेंद्र सिंह पटेल और सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू से मुलाकात की थी और उनसे चुनाव प्रचार में सहयोग माना था, लेकिन मनोज सिंह डब्लू ने अभी तक उनके पक्ष में एक दिन भी कोई जनसभा या रैली नहीं की है। न ही वह उम्मीदवार के साथ घूमते हुए दिखाई दिए हैं। केवल हवा-हवाई बयानबाजी हो रही है।
इसके अलावा समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव के घर बृहस्पतिवार को सुरेंद्र पटेल अपनी कमेटी के सदस्यों को लेकर जा पहुंचे थे और वहां पर रामकिशुन यादव की नाराजगी दूर करने की भरपूर कोशिश की, लेकिन सुरेंद्र पटेल रामकिशुन यादव के कई सवालों के जवाब भी नहीं दे पाए। रामकिशुन यादव ने उनको चंदौली के मतदाताओं की भावना से अवगत कराने की कोशिश की और दावा किया कि अगर स्थानीय जनता की भावनाओं का सम्मान न करके मनमाने तरीके से चुनाव प्रचार किया जाएगा और प्रत्याशी थोपा जाएगा तो समाजवादी पार्टी कैसे चुनाव जीत पाएगी।
रामकिशुन यादव ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि वह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं और समाजवादी पार्टी के लिए यही काम करेंगे, लेकिन चुनाव जीतने के लिए सारे पहलुओं पर विचार करना आवश्यक होता है। यह समाजवादी पार्टी और उम्मीदवार दोनों को सोचना होगा।
अब सुरेंद्र पटेल के द्वारा दो महत्वपूर्ण ठिकानों से मिले फीडबैक को पार्टी के आलाकमान तक पहुंचाने के साथ-साथ प्रत्याशी को भी देने की जरूरत है, ताकि वह उनकी आशंकाओं के साथ-साथ नाराजगी को दूर करने के अपने स्तर से कोशिश करे और उनका चुनाव प्रचार में अपने साथ जोड़ सके। यदि ऐसा नहीं हो पाया तो समाजवादी पार्टी के पास प्रत्याशी बदलने के अलावा कोई और विकल्प ही नहीं होगा।
हालांकि मनोज कुमार डब्लू को राष्ट्रीय सचिव बनाकर उनको खुश करने की कोशिश की गई है और रामगोपाल यादव की ओर से उनके लिए पत्र भी आ गया है, लेकिन वह इस नई जिम्मेदारी से किस तरह से सक्रिय होंगे यह अभी भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है।
हालांकि इस बारे में समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि किसी भी पार्टी में टिकट का बदला जाना इस बात का परिचायक है कि उस पार्टी के भीतर लोकतंत्र है और कार्यकर्ताओं के सुझावों पर नेतृत्व फैसला बदलने को तैयार रहता है। समाजवादी पार्टी के भीतर भी लोकतंत्र दिखाई दे रहा है और कार्यकर्ताओं के सुझाव पर नेतृत्व उनके अनुसार फैसला ले रहा है।
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