समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश 2047: चंदौली में प्रबुद्धजन और अधिकारियों के साथ 2 दिवसीय संवाद कार्यक्रम
समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के लिए संवाद कार्यक्रम
जिलाधिकारी और CDO ने प्रबुद्धजनों का स्वागत किया
किसानों और FPO सदस्यों से चर्चा
बाढ़, जैविक खेती और आधुनिक यंत्रों पर जोर
लालजी राय ने तकनीकी खेती अपनाने की सलाह दी
चंदौली जिले में दिनांक 08 सितंबर 2025 को “समर्थ उत्तर प्रदेश – विकसित उत्तर प्रदेश 2047” कार्यक्रम के तहत एक विशेष संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के कृषि, शिक्षा, उद्योग और ग्रामीण विकास से जुड़े प्रबुद्धजन, अधिकारियों और आम नागरिकों से फीडबैक प्राप्त करना और उनके सुझावों के माध्यम से उत्तर प्रदेश को 2047 तक विकसित राज्य बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाना था।

इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री चंद्र मोहन गर्ग और मुख्य विकास अधिकारी आर जगत साँई ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया और प्रबुद्धजनों का पुष्प गुच्छ और अंग वस्त्र देकर स्वागत किया। शासन द्वारा नामित प्रबुद्धजन में पूर्व आईएएस लालजी राय, सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. सुरेश कुमार कनोड़िया और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेन्द्र रघुवंशी शामिल थे। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों, कृषकों और नागरिकों को राज्य की विकास योजनाओं, लक्ष्यों और 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित राज्य बनाने की रणनीति से अवगत कराया।

आपको बता दें कि कार्यक्रम दो दिवसीय था, जिसमें पहले दिन 03 प्रमुख थीम और 12 सेक्टर के आधार पर अधिकारियों और प्रगतिशील कृषकों के साथ संवाद हुआ। किसानों, एफपीओ सदस्यों, डेयरी उद्योग से जुड़े लोगों और व्यवसायियों ने अपनी समस्याओं और सुझावों को साझा किया। प्रमुख मुद्दों में बाढ़ नियंत्रण, जैविक खेती, आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग, धान क्रय केंद्रों की संख्या बढ़ाने और प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की मांग शामिल थी।

बैठक के दौरान प्रबुद्धजनों ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को विकसित उत्तर प्रदेश बनाने हेतु कृषकों एवं एफ.पी.ओ. से संवाद करना रहा। कार्यक्रम में उपस्थित प्रगतिशील कृषकों द्वारा जनपद में बाढ़ की स्थिति से अवगत कराया तथा जैविक खेती हेतु बाजार एवं आधुनिक कृषि यंत्रों जैसे लेजर लेण्ड बाजार पराली प्रबन्धन से सम्बन्धित यंत्रों का मांग किया धान के क्रय केन्द्रों की संख्या बढ़ाने, चावल हेतु प्रोसेसिंग यूनिट स्थापना को मांग की गई। प्रोफेसर कनोडिया ने आश्वासन दिया कि किसानों की समस्याओं को शासन तक पहुंचाया जाएगा और समुचित समाधान किया जाएगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रघुवंशी ने टिकाऊ खेती, पर्यावरण-संरक्षण और कृषि के विभिन्न आयामों पर विशेष जोर दिया। लालजी राय ने कहा कि पारंपरिक खेती से हटकर तकनीकी, पर्यावरण और बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप खेती करने से किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने किसानों को ऑनलाइन मार्केटिंग का लाभ उठाने और आधुनिक यंत्रों का प्रयोग करने की सलाह दी।

उप कृषि निदेशक श्री भीमसेन ने कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं और विजन-2047 के तहत किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रगतिशील किसानों के सुझावों को नीति निर्माण में शामिल किया जाएगा। कार्यक्रम में एफपीओ के निदेशक श्री अजय सिंह, श्री रतन सिंह, श्री रमेश सिंह तथा प्रगतिशील कृषक श्री चन्द्रमा सिंह और श्री आर.पी. पाण्डेय सहित महिला कृषक उपस्थित थीं।

इस कार्यक्रम के माध्यम से शासन ने आम नागरिकों को पोर्टल https://samarthuttarpradesh.up.gov.in पर अपने सुझाव देने का आमंत्रण दिया। QR कोड स्कैन कर लोग मोबाइल नंबर और OTP की मदद से पोर्टल पर सुझाव फार्म भर सकते हैं। पोर्टल पर प्राप्त सुझावों का मूल्यांकन कर विकसित उत्तर प्रदेश 2047 के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। सभी सुझावों को संज्ञान में लेकर राज्य स्तर पर नीति निर्धारण किया जाएगा और सुझाव देने वाले सम्मानित भी किए जाएंगे।
09 सितंबर को प्रबुद्धजन आईटीआई कालेज रेवासा के सभागार में छात्रों, प्राध्यापकों और गणमान्य व्यक्तियों के साथ संवाद करेंगे। इसके बाद वे ग्रामीण क्षेत्रों में महिला समूहों, श्रमिक संगठनों, स्वयसेवी संस्थाओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से मिलने और वार्ता करने जाएंगे।

जिलाधिकारी ने उपस्थित प्रबुद्धजनों और अधिकारियों को आश्वासन दिया कि प्राप्त सुझावों के अनुसार सभी अधिकारी बेहतर प्रदर्शन करेंगे। कार्यक्रम का उद्देश्य हर वर्ग के नागरिकों की समस्याओं और सुझावों को सीधे शासन तक पहुंचाना और राज्य को 2047 तक आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी दृष्टि से विकसित बनाना है।
इस तरह, “समर्थ उत्तर प्रदेश – विकसित उत्तर प्रदेश 2047” संवाद कार्यक्रम ने जिले के प्रबुद्धजन, कृषक समुदाय और अधिकारियों के बीच महत्वपूर्ण संवाद स्थापित किया। कार्यक्रम से न केवल किसानों और आम नागरिकों की समस्याओं का समाधान संभव होगा बल्कि राज्य की नीति निर्माण प्रक्रिया में जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।
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