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देखिए वीडियो : नौगढ़ में बिना शिक्षक का स्कूल, बच्चे खोलते हैं ताला, मॉनीटर है शिक्षक

नौगढ़ के माध्यमिक विद्यालय गहीला में एक भी शिक्षक नहीं हैं। पहले  इस गांव में प्राथमिक विद्यालय था और पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई होती थी। एक दिन लोगों को बताया गया कि अब यहां माध्यमिक विद्यालय भी खुला है।  खुशी की बात थी।  लोग खुश हुए। यह तो अब पता चला कि स्कूल की तरक्की कागज पर ही हो गई।
 
नौगढ़ में बिना शिक्षक का चल रहा स्कूल
बच्चे खोलते हैं स्कूल का ताला
मॉनीटर बना है शिक्षक 


चंदौली जिले में सरकारी अधिकारी चाह लें तो कमाल कर सकते हैं। कर भी रहे हैं। मसलन बिना शिक्षक के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई हो रही है। बच्चे पढ़ रहे हैं। परीक्षा भी पास कर रहे हैं। 


बताते चलें कि नौगढ़ के माध्यमिक विद्यालय गहीला में एक भी शिक्षक नहीं हैं। पहले  इस गांव में प्राथमिक विद्यालय था और पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई होती थी। एक दिन लोगों को बताया गया कि अब यहां माध्यमिक विद्यालय भी खुला है।  खुशी की बात थी।  लोग खुश हुए। यह तो अब पता चला कि स्कूल की तरक्की कागज पर ही हो गई।

School reality


आपको बता दें कि यह हाल गहिला का ही नहीं है,  नौगढ़ में शिक्षक विहीन और भी हो सकते हैं, स्कूलों की संख्या भले ही कम हो, मगर उन स्कूलों की संख्या बहुत अधिक है, जिनमें स्वीकृत पदों के अनुपात में शिक्षक नहीं हैं। और कहीं बच्चों के अनुपात में शिक्षक ज्यादा है।


 प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक आम लोग होते हैं। जंगलों में रहने वाले लोग तहसील मुख्यालय में तैनात अधिकारी एसडीएम, एबीएसए या चंदौली में बैठने वाले बड़े अधिकारियों के पास लिखा पढ़ी नहीं कर सकते हैं। गांव के संपन्न लोगों के बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते हैं। बच्चों के अभिभावक तो यही सोचकर खुश हो रहे हैं कि कम से कम उनका बच्चा स्कूल का मुंह तो देख रहा है। 


दिक्कत यह है कि सुदूर इलाके के स्कूलों में शिक्षक जाना नहीं चाहते हैं। नौकरी लेने की बारी आती है तब लोग किसी भी जगह जाने के लिए तैयार रहते हैं। नौकरी मिलते ही उन्हें मर्जी की जगह तैनाती की दरकार हो जाती है।


माध्यमिक विद्यालय गहीला में 30 बालक और 30 बालिकाओं का पंजीकरण है। प्राथमिक विद्यालय एक  किलोमीटर की दूरी पर है वहां के एक सहायक अध्यापक अजीत चौरसिया को मिड डे मील और विद्यालय का संचालन हेतु रखा गया है। स्कूल का मॉनिटर पवन के पास विद्यालय के गेट और कमरे की चाबी रहती है। यहां नियुक्त रसोईया इंद्रावती और सुमन को काफी दिनों से उनका मानदेय नहीं मिल रहा है।


इस विद्यालय में शौचालय भी नहीं है जिसके कारण बालिकाओं को जंगल में जाना पड़ता है।


क्या बोलते है एबीएसए अवधेश नारायण सिंह 


 माध्यमिक विद्यालय गहिला में किसी अध्यापक की तैनाती नहीं है लेकिन संचालन हेतु प्राथमिक विद्यालय के एक अध्यापक को नियुक्त किया गया है।  नियुक्ति के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।
 

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