कार्रवाई पर लामबंद हो गए हैं लेखपाल, जवाब में एसडीएम ने दे अपनी ओर से चेतावनी
लेखपालों पर नो वर्क-नो पे का फॉर्मूला होगा लागू
काटी जाएगी सबकी सैलरी
मांगों को संवैधानिक तरीके से ही पूरा कराने का अधिकार
सरकार की मंशा के हिसाब से का न करने पर होगी कार्रवाई
चंदौली जनपद के सकलडीहा तहसील के उप जिलाधिकारी अनुपम मिश्रा द्वारा दो लेखपालों पर कार्य में लापरवाही को लेकर निलंबन की कार्यवाही किए जाने के बाद लेखपाल लामबंद होकर धरने पर बैठ गए हैं। धरने का नेतृत्व लेखपाल संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष सुजीत सिकंदर ने किया।
लेखपालों की मांग है कि तत्काल निलंबित लेखपालों को बहाल किया जाए और उनका बकाया भुगतान भी किया जाए। उनकी अन्य जो मांगें हैं उसे तत्काल पूरा किया जाए नहीं, तो लेखपाल संघ अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे रहेंगे ।
इस संबंध में धरना का नेतृत्व कर रहे लेखपाल संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष सुजीत सिकंदर ने बताया कि तत्काल निलंबित लेखपालों को बहाल किया जाना चाहिए और उनकी मांगों को पूरा किया जाए, नहीं तो यह आंदोलन तहसील से जिला, जिला से मंडल और मंडल से प्रदेश स्तर तक किया जाएगा।
सबसे बड़ी बात है कि जिन लेखपालों पर कार्यवाही की गई है, उसने कब्जाधारियों पर कार्रवाई नहीं किए जाने के आरोप के बाद उपजिलाधिकारी ने किया है। जबकि शासन का निर्देश है कि 12 साल से जो कब्जाधारी कब्जा किए हैं, उसके ऊपर हम कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकते है। एक तरफ उनके पर कार्यवाही का दबाव बनाया जाता है, दूसरी तरफ कानून का हवाला दिया जाता है। हमको दो-धारी तलवार से हलाल करने की कार्रवाई की जाती है।
लेखपालों ने कहा ति अब यह नहीं चलेगा और उपजिलाधिकारी सकलडीहा को हर हालत में तत्काल निलंबित लेखपालों को बहाल करते हुए उनके अन्य मांगों को पूरा किया जाना चाहिए, नहीं तो जिले के अन्य तहसीलों में भी इस तरह का आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा। यही नहीं जिले से कार्रवाई नहीं हुई तो मंडल पर भी लेखपाल संघ धरने पर बैठने को मजबूर होगा।
वही इस संबंध में उपजिलाधिकारी सकलडीहा अनुपम मिश्रा ने कहा है कि शासन की मंशा के अनुरूप कार्य में लापरवाही बरतने पर नियमानुसार कार्यवाही की गयी है। आगे भी ऐसी कार्रवाई की जाएगी। हर किसी को अपनी मांगों को मांगने के लिए संवैधानिक अधिकार मिले हैं, उसका प्रयोग करें । लेकिन कार्य बाधित होगा तो नो वर्क, नो पे का फॉर्मूला लागू होगा। अगर कार्य नहीं करेंगे तो उस दिन का वेतन भी नहीं दिया जाएगा। पीड़ितों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े और वे अपनी मांगों को संवैधानिक तरीके से पूरा कराने के लिए धरना प्रदर्शन कर सकते हैं, जो नियमानुसार सही रहेगा, उसे पूरा किया जाएगा।
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