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डीएम साहब, नौगढ़ में भगवान भरोसे है मासूमों की जान, वार्डब्वाय बांटते हैं दवा

 


  चंदौली जिले के तहसील नौगढ़ में मासूमों की जान भगवान भरोसे है।  शुक्र है, नौगढ़ इलाके में मध्यप्रदेश सरीखे हालात नहीं दिखे। वरना, गरीबों के मासूमों की मौत का तांडव होता। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ में मासूमों के इलाज के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। 


डीएम संजीव सिंह के निर्देश के बाद भी  यहां बच्चों का इलाज करने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। जनरल फिजिशियन ही अस्पताल आने वाले बच्चों को दवा देते हैं, बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे सीधा रेफर कर दिया जाता है।


आपको बता दें कि सीएचसी में इलाज के लिए आने वाले बच्चे या परिजनों नीम- हकीम की तर्ज पर दवा लेकर घर लौट जाते हैं, या फिर हालत बिगडने पर उन्हें रेफर के खेल में जान गंवाना पड़ जाता है। नौगढ़ के अमदहा गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी संचालित है। पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाकर वहीं से पूरे प्रदेश में आरोग्य मेले का शुभारंभ किया था। 


सीएमओ बीपी द्विवेदी का दावा है कि दोनों अस्पतालों में बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक के हर मर्ज का इलाज किया जाता है। इससे इतर, अस्पतालों के हालात काफी विपरीत है।


 सीएचसी नौगढ़ में नवजात बच्चों को रखने के लिए वार्मर की व्यवस्था तो है लेकिन मशीन संचालन के खातिर डॉक्टर नहीं हैं। 30 बेड के इस अस्पताल में  जुलाई से लेकर 6 सितंबर  तक 125 बच्चों का संस्थागत प्रसव में जन्म हुआ। बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होने के कारण 4 बच्चों की हालत बिगडने पर इलाज के लिए जिला संयुक्त चिकित्सालय रेफर किया गया। कई गर्भवती महिलाओं को एडमिट करने के बाद महिला चिकित्सक के ना होने से इलाज के लिए रेफर किया गया।

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क्या कहते हैं अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अवधेश पटेल

 यहां इलाज के लिए आने वाले बच्चों की हालत बिगडने पर रेफर के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता।

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