3 साल से पट्टे की जमीन आने का इंतजार कर रहे हैं 13 वनवासी परिवार, प्रदर्शन कर दिलाई याद  

चकिया विकास खंड के कुसहीं गांव के पिपरखड़िया मौजा के वनवासियों को जमीन का पट्टा तो दे दिया गया है लेकिन उनको आज तक जमीन पर अपना कब्जा नहीं मिला है।
 
3 साल से पट्टे की जमीन आने का इंतजार कर रहे हैं 
वनवासी परिवार ने प्रदर्शन कर प्रशासन को दिलाई याद  
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को मांगों से संबंधित सौंपा ज्ञापन

  चंदौली जिले के चकिया विकास खंड के कुसहीं गांव के पिपरखड़िया मौजा के वनवासियों को जमीन का पट्टा तो दे दिया गया है लेकिन उनको आज तक जमीन पर अपना कब्जा नहीं मिला है। इसी बात से परेशान वनवासियों ने सोमवार को चकबंदी से किए गए पट्टे की जमीन का कब्जा दिलाने की मांग को लेकर तहसील परिसर में प्रदर्शन किया।  

इस प्रदर्शन के दौरान सभी लोगों ने यह आरोप लगाया कि चकबंदी विभाग की ओर से धारा 52 के प्रकाशन के बावजूद उनको तहसील प्रशासन से दी गई पट्टे की जमीन को चिन्हांकित नहीं कराया गया है। जिसके कारण उन्हें जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया। गांव के लोगों ने बड़ी उम्मीद से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा है।

इस दौरान वनवासियों का नेतृत्व कर रहे जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि दशरथ सोनकर ने कहा कि पिपरखड़िया मौजा के 13 वनवासियों को चकबंदी के 3 वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद भी न तो पट्टे की जमीन को चिन्हित किया गया है। न ही उन्हें पट्टे की जमीन पर कब्जा दिलाया गया है। पूर्व में तहसील प्रशासन वनवासियों को जीवन यापन करने के लिए जमीन का पट्टा किया था। तीन वर्ष पूर्व चकबंदी की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद भी चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने वनवासियों को पट्टा की गई जमीनों का सीमांकन नहीं कराया।  

जैसे ही यह मामला ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा के सामने आया तो उन्होंने वनवासियों के प्रकरण का संज्ञान लिया है और सभी को  जल्द ही मामले का निस्तारण करने का आश्वासन दिया। प्रदर्शन में जामवंत, रविप्रकाश, राजनाथ, नगीना, कुमारी, लक्कड़, लालचंद्र, बहादुर, विक्रमा आदि लोगों ने भी उम्मीद जताई है कि अगर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट साहब इस मामले में तनिक सी भी दिलचस्पी ले लेंगे तो गरीबों की इस समस्या का समाधान हो जाएगा।