भजन का मार्ग मोक्ष प्रदान कराने वाला, रामकथा का रसपान जरूरी :  जगदीशाचार्य
 

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म उस समय हुआ जब देश में अधर्म अपने पैर पसार रहा था। हालांकि रावण प्रकांड विद्वान था, फिर भी उसके राक्षसों ने जब धर्म पर प्रहार किया तो भगवान को स्वयं राम के रूप में इस मृत्यु लोक में आना पड़ा।  
 

जब-जब अधर्म बढ़ा तब तक भगवान को किसी न किसी रूप में अवतार लेना पड़ा। 

पृथ्वी पर अवतार लेकर दुष्टों का संहार कर लोगो को मुक्ति मार्ग का उपाय बताता हूं। 

चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत मनकपड़ा गांव के हनुमान मंदिर पर आयोजित ग्यारह दिवसीय संगीतमय राम कथा के तीसरे दिन प्रयागराज से पधारे कथा वाचक जगदीशाचार्य श्रोताओं को राम कथा का रसपान कराते हुए कहा कि पृथ्वी पर जब-जब अधर्म बढ़ा तब तक भगवान को किसी न किसी रूप में अवतार लेना पड़ा। 

 कथावाचक ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म उस समय हुआ जब देश में अधर्म अपने पैर पसार रहा था। हालांकि रावण प्रकांड विद्वान था, फिर भी उसके राक्षसों ने जब धर्म पर प्रहार किया तो भगवान को स्वयं राम के रूप में इस मृत्यु लोक में आना पड़ा।  रावण यह भली प्रकार जानता था कि धर्म के रास्ते पर चलने से उसे मोक्ष नहीं मिलेगा इसलिए उसने अधर्म का रास्ता अपनाया और परमात्मा को इस धरती पर अवतार लेने के लिए विवश कर दिया । गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि हे अर्जुन इस पृथ्वी पर जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर अवतार लेकर दुष्टों का संहार कर लोगो को मुक्ति मार्ग का उपाय बताता हूं। 

कथा वाचक जगदीश आचार्य ने कहा कि यह अवधारणा आदिकाल से चली आ रही है। त्रेतायुग में भगवान राम ने जन्म लेकर ताड़का, मारीचि, रावण जैसे आततायियों का संहार किया। भक्तों को मुक्ति मार्ग के उपाय बताते हुए कहा कि जीव इस पृथ्वी पर जन्म लेने के बाद माया मोह के बंधनों में बंध जाता है। भजन ही वह मार्ग है जिसके द्वारा व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है। कलयुग में गोस्वामी तुलसीदास जी ने विशेष छूट दी है जिसके अनुसार कलयुग केवल हरिगुन गाहा अर्थात केवल भगवान का गुणगान करने से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। 

इस दौरान शशिकांत पाण्डेय, योगेन्द्र सिंह, राकेश शास्त्री, विनोद पाण्डेय,उषा सिह,शंकर गुप्ता,राजवंश पाण्डेय, सहित दर्जनों श्रोता उपस्थित थे।