शहाबगंज इलाके में नहीं खुल रहा परिषदीय विद्यालयों का समय से ताला, नौनिहालों के पठन पाठन पर पड़ रहा असर
 

कहा जा रहा है कि सरकार अध्यापकों के वेतन और भत्ते पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। बावजूद अध्यापक विद्यालयी कार्यों को नगण्य समझते है और अपने घर के कार्यों को वरियता देते हैं।
 

बीएसए साहब देख लीजिए इन स्कूलों का हाल

समय से नहीं आते मास्टर साहब

बीआरसी और एबीएसए से बना रखे हैं सेटिंग

फोटो झूठ नहीं बोलती है

 
चंदौली जिले के शहाबगंज विकास क्षेत्र में संचालित परिषदीय विद्यालयों के खुलने और बंद होने की कोई समय सारणी ही नहीं रह गयी है, जिसका सीधा असर नौनिहालों के पठन पाठन पर पड़ रहा है। इस तरह का नजारा आये दिन सरकारी स्कूलों में देखने को मिल जा रहा है।

गुरुवार को ब्लाक संसाधन केन्द्र पर परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प करने के लिए क्षेत्रीय विधायक कैलाश आचार्य की अध्यक्षता में प्रधानाध्यापक व ग्रामप्रधानों का बैठक आहूत की गयी थी। वहीं दूसरी तरफ प्राथमिक विद्यालय सरैया में 9:30 बजे तक विद्यालयों के गेट पर ताला लटका हुआ था और अमांव प्राथमिक विद्यालय में ताला खोलते बच्चे नजर आए, जिससे साफ प्रतीत हो रहा है कि न ही बच्चे उपस्थित है और नहीं अध्यापक। जबकि इन विद्यालयों में नियुक्त अध्यापकों के सहारे ही परिषदीय विद्यालय के बच्चों को कान्वेंट स्कूलों के बच्चों की तरह अपटूडेट  बना रहे हैं।

कहा जा रहा है कि सरकार अध्यापकों के वेतन और भत्ते पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। बावजूद अध्यापक विद्यालयी कार्यों को नगण्य समझते है और अपने घर के कार्यों को वरियता देते हैं। जिसका परिणाम विद्यालयों के तालाबंदी के रुप  में देखने को मिलता है। जिसका सीधा असर बच्चों के शिक्षण कार्य पर पड़ता है।

वैसे को कागजों नें बीईओ व एनपीआरसी के द्वारा प्रतिदिन विद्यालयों को चेक कर रिपोर्ट शासन को भेजना होता है, लेकिन ये दोनों महोदय सेटिंग वाली जगहों पर जाना पसंद नहीं करते हैं। वहीं विभागीय अध्यापकों ने बताया कि जिस भी विद्यालय की जांच होनी होती है। सूचना पहले ही मिल जाती है, जिससे उक्त विद्यालय के अध्यापक समय से उपस्थित हो जाते हैं।

जब विद्यालयों में आये दिन ताला बंद होने के बारे में बीईओ अजय कुमार से पूछा गया तो वह रटा रटाया जवाब देते हुए कहते हैं कि उनको ऐसे स्कूलों की जानकारी नहीं है। जब शिकायत आएगी तो जांच कर कार्यवाही की जायेगी।