वर्ल्ड अल्जाइमर डे पर ग्रामीण इलाके के मरीजों को जागरूक करने की कोशिश
 

इस दिमागी बीमारी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह लगातार प्रगति करती हैं  लोगों को जागरूक करने के लिए ही वर्ल्ड अल्जाइमर डे 21 सितंबर को हर वर्ष मनाया जाता है।
 

मृत्युंजय हॉस्पिटल की वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य ने दी जानकारी, डॉक्टर अशोक दुबे ने लोगों को दिया टिप्स

 


चंदौली जिला के मृत्युंजय हास्पिटल बरहुआ पर वर्ल्ड अल्जाइमर डे के अवसर पर मरीजों को अल्जाइमर नामक बीमारी के बाबत जानकारी दी गई तथा उपचार बताया गया। 

बता दें कि मृत्युंजय हॉस्पिटल के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य मानसिक व मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर अशोक कुमार दुबे ने बताया कि यह रोग मनोभ्रंश का एक प्रगतिशील रूप है। मनोभ्रंश उन स्थितियों के लिए एक व्यापक शब्द है जो स्मृति, सोच और व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। यह परिवर्तन दैनिक जीवन में कठिनाइयाँ पैदा करती हैं जो कि सामान्य से लेकर गंभीर तक हो सकती है।

   

अल्जाइमर रोग वैसे तो उम्र के किसी भी दौर में हो सकता है, लेकिन इसकी होने की आशंका 60 वर्ष के बाद ज्यादा होती है. दुनिया भर में मनोभ्रंश यानि डिमेंशिया से ज्यादा लोग पीड़ित हैं और इन लोगों मे अधिकांश अल्जाइमर रोग होने का अनुमान है। बीमारी के शुरुआती लक्षणों में हाल की घटनाओं या बातचीत को भूलने की समस्या होती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है और मरीज रोजमर्रा के कार्यों को करने की क्षमता खो देता है। 

इस दिमागी बीमारी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह लगातार प्रगति करती हैं  लोगों को जागरूक करने के लिए ही वर्ल्ड अल्जाइमर डे 21 सितंबर को हर वर्ष मनाया जाता है। लोगों में जागरूकता से ही इसे आगे बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है । 

इस दौरान लोकेश यादव, आशीष पांडेय, कंचन, पल्लवी मौर्य, रामभजन सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।