हाथरस सत्संग हादसा प्रशासनिक व आयोजकों की लापरवाही का नतीजा : अजय राय

अजय राय ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के हवाले से यह खबर आ रही है कि हाथरस में हो रहे सत्संग में बड़े पैमाने पर भीड़ इकट्ठा हो सकती है,  इसकी सूचना जिला प्रशासन को थी।
 

आईपीएफ नेता अजय राय ने मांगा और मुआवजा

हादसे में मृतक व घायल लोगों की मौत के जिम्मेदार लोगों को मिले सजा

घटना की जवाबदेही तय करने की मांग

हाथरस में हुई नागरिकों की मौत का जिम्मेदार सिर्फ बाबा नहीं, बल्कि वे लोग भी हैं, जो ऐसे आयोजनों की मंजूरी देते हैं और इसके बाद वहां पर भीड़ कंट्रोल करने और अन्य जरूरी सुविधाओं को देना जरूरी नहीं समझते हैं। इस घटना में मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, जिनकी भगदड़ में दर्दनाक मौत हो गयी है।

इस घटना पर ऑल इंडिया पीपुल्स और आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने सभी मृतक व घायल लोगों को उचित मुआवजा और घायलों के बेहतर इलाज की सरकार से अपील की है। अभी तक मुख्यमंत्री जी द्वारा घोषित मुआवजा व घायलों के इलाज के लिए सहायता को अपर्याप्त बताया है।

घटना के बारे में कहा कि जहां सत्संग हो रहा था, वह जगह बहुत छोटी थी और बाबा में आस्था रखने वाले बहुत संख्या में आ रहे थे। ऐसे में गर्मी और उमस से लोगों को छोटी जगह में भीड़ को संभाला जाना मुश्किल था। वहीं भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए आयोजक व प्रशासन के पास कोई योजना नहीं थी। अन्य सत्संग और धार्मिक आयोजन में हुई भगदड़ से हुई घटनाओं से प्रशासन ने सीख भी नहीं लिया।

अजय राय ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के हवाले से यह खबर आ रही है कि हाथरस में हो रहे सत्संग में बड़े पैमाने पर भीड़ इकट्ठा हो सकती है,  इसकी सूचना जिला प्रशासन को थी। बावजूद इसके जिला प्रशासन ने इसकी अनदेखी की और वहां समुचित इंतजाम न करके घोर लापरवाही बरती है। जिसकी सरकार को न्यायिक जांच करानी चाहिए और घटना की जवाबदेही तय करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा है कि इस समय सत्ता के सहयोग से जो बड़े पैमाने पर बाबाओं का कारोबार फल फूल रहा है और जनता की आस्था का दोहन किया जा रहा है। उससे जनता को सचेत होना होगा। बाबाओं के कार्यक्रम में यह भीड़ एकाएक नहीं आती है। उसके लिए उसके लिए जगह जगह होडिंग लगाई जाती हैं और आयोजन में आने के लिए निमंत्रण पत्र भेजा जाता है। गाडियां से प्रचार किया जाता है। चर्चा तो यह भी हैं कि यह बाबा पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर सूट-बूट वाले बाबा बन गए थे।

अब ये यह भी सवाल हैं कई धार्मिक आयोजन को राजनैतिक दलों का संरक्षण भी मिलता रहता हैं। तब सवाल उठता हैं कि सत्संग में हुई हादसा के लिए असली जबावदेह कौन होगा।