मिड डे मील रसोइया को ठग रही है योगी सरकार, न्यूनतम मजदूरी की कब देगी गारंटी

जस्टिस पंकज भाटिया ने अपने आदेश में कहा था कि मिड डे मील रसोइयों से 1000 रूपए मासिक पर काम करवाना बंधुआ मजदूरी है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 23 में प्रतिबंधित किया गया है।
 

आईपीएफ नेता अजय राय की मांग

चंदौली जनपद के मीड डे मील रसोइया पर सोचिए डीएम साहब

कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं हो रही है सकारात्मक

चंदौली जनपद में 1268 विद्यालयों में मिड डे मील के योजना के तहत भोजन बनाया जाता है। परिषदीय  विद्यालयों में के साथ साथ मान्यता प्राप्त विद्यालयों में यह योजना चल रही है, लेकिन रसोइया की हालात खराब हैं। इसलिए परिषदीय विद्यालयों और प्राथमिक विद्यालयों में काम करने वाले मिड डे मील रसोइया को न्यूनतम मजदूरी देने की सरकार से गारंटी की मांग आईपीएफ राज्य कार्य समिति अजय राय राय ने उठाया है।

अजय राय ने कहा कि मिड डे मील रसोइया में ज्यादातर महिलाएं हैं। इनको न्यूनतम मजदूरी देने का आदेश चंद्रावती बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले में 15 दिसम्बर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था। जस्टिस पंकज भाटिया ने अपने आदेश में कहा था कि मिड डे मील रसोइयों से 1000 रूपए मासिक पर काम करवाना बंधुआ मजदूरी है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 23 में प्रतिबंधित किया गया है।

उसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार का भी संवैधानिक दायित्व है कि किसी के भी मूल अधिकारों का हनन न हो पाए। सरकार किसी को भी न्यूनतम वेतन से कम नहीं दे सकती है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को इस आदेश पर अमल करने के लिए कहा था, जिसमें चंदौली जनपद के जिलाधिकारी भी शामिल हैं।

उसी आदेश में केन्द्र व राज्य सरकार को चार माह में न्यूनतम वेतन तय करने और 2005 से अब तक सभी रसोइयों को वेतन अंतर के बकायों का निर्धारण कर भुगतान करने को कहा था। इस आदेश के लागू न होने के कारण अवमानना याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की गई जिस पर कार्रवाही चल रही है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में तो हालत इतनी बुरी है कि पिछले 5 सालों से उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वेतन का भी वेज रिवीजन नहीं हुआ, जबकि न्यूनतम वेतन अधिनियम की धारा 3 स्पष्ट रूप से यह कहती है कि हर 5 साल पर मिनिमम वेज का रिवीजन होना चाहिए। 2014 में उत्तर प्रदेश में मिनिमम वेज का रिवीजन हुआ था, जिसे 2019 में पुनः होना था। लेकिन 2024 आ गया है। अभी तक सरकार ने इसे करने का काम नहीं किया। कई बार विधायकों ने विधानसभा और विधान परिषद में इस सवाल को उठाया तो श्रम मंत्री ने बार-बार यह जवाब दिया कि 6 महीने में न्यूनतम वेतन समिति का गठन कर लिया जाएगा। उनका 6 महीना अभी तक पूरा नहीं हो सका है और आज तक वेज रिवीजन कमेटी तक का गठन नहीं हुआ। मीड डे मील रसोइया ने चंदौली में कई बार सवाल को उठाया लेकिन हल नहीं हुआ  हैं जो हल होना जरूरी है। वहीं मिड डे मील रसोइया को वेतन भी कई कई माह के बाद वेतन मिलता है।