पुआल के सहारे संचालित है केरायगांव की गौशाला, पेटभर चारा न मिलने से एक गौवंश ने तोड़ा दम

इस गौशाला में 29 गौवंश है इनकी देखभाल करने वाला सोनू यादव ने बताया कि इनको भोजन के नाम पर पांच बोरी भूसा व दो बाल्टी चुंगी सुबह-शाम दिया जाता है जो इनके लिए ऊट के मूंह में जीरा के सामान है।
 
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भगवान भरोसे चल रही है गांवों में बनीं गौशालाएं

न हरा चारा और न भरपेट भूसा

दम तोड़ रहे हैं रखे गए जानवर

चंदौली जिले के शहाबगंज केरागांव स्थित गौशाला में उचित भोजन पानी नही मिलने से रविवार को एक गोवंश की मृत्यु हो गई। सोमवार को पशु-चिकित्साधिकारी ने पशु का पोस्टमार्टम किया। प्रदेश सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना गौवंश के संरक्षण के लिए बना गौशाला देखभाल के अभाव में दम तोड़ रहा है। जिससे उनमें रहने वाले पशु किसी प्रकार अपना जीवन गुजार रहे है।

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इसी तरह का हाल केरायगांव स्थित गौशाला का देखने को मिला जहां चारे के अभाव में गोवंश दम तोड़ते नजर आ रहे है। जहां भोजन के नाम पर सुखा पुआल व पानी दिया जा रहा है। जिससे गोवंश का उचित देखभाल नही हो रहा, संतुलित आहार की कमी के कारण बिमार हो जा रहे है। इस गौशाला में 29 गौवंश है इनकी देखभाल करने वाला सोनू यादव ने बताया कि इनको भोजन के नाम पर पांच बोरी भूसा व दो बाल्टी चुंगी सुबह-शाम दिया जाता है जो इनके लिए ऊट के मूंह में जीरा के सामान है।

वही पशु चिकित्साधिकारी डाक्टर सुजीत कुमार सिंह ने कहां कि गोवंश के देखभाल के लिए उनके वजन के हिसाब से चारा दिया जाना चाहिए।एक पशु को कम से कम दो से तीन किलो भूसा व संतुलित आहार के साथ हरा चारा दिया जाना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में आहार नही मिलने के कारण गोवंश दीन हीन हो गये है।

जबकि गौशालाओं के देखभाल की जिम्मेदारी एडीओ पंचायत व बीडीओ की भी है। वही उप जिलाधिकारी दिव्या ओझा ने कहां कि चारें के अभाव में गोवंश का मरना बहुत बड़ी लापरवाही है। मामले की जांच कर लापरवाह कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।