चंदौली में नहरों की सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति, चहेते ठेकेदारों से कमीशन लेकर कराया जा रहा काम
सिल्ट सफाई के नाम पर बजट की बंदरबांट
चहेते ठेकेदारों को काम देने का आरोप
योगी सरकार को किसानों का खुला पत्र
चंदौली सिंचाई विभाग में भ्रष्टाचार पर हंगामा
चंदौली जनपद में कर्मनाशा और चंद्रप्रभा नहर प्रणालियों से निकलने वाले राजवाहों, अल्पिकाओं और माइनरों की सिल्ट सफाई (सिल्ट स्क्रैपिंग) का कार्य इन दिनों विवादों के घेरे में है। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आईपीएफ) के राष्ट्रीय फ्रंट कमेटी सदस्य और मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय ने सिंचाई विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अजय राय का कहना है कि योगी सरकार द्वारा सिल्ट सफाई के लिए बेहद कम धनराशि आवंटित की गई है, जिसके कारण धरातल पर काम होने के बजाय केवल खानापूर्ति की जा रही है। कई स्थानों पर नहरों के भीतर जमी सिल्ट को निकालने के बजाय केवल ऊपर-ऊपर से घास-फूस और झांखाड़ हटाकर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है।
सत्ताधारी नेताओं और चहेते ठेकेदारों का 'कमीशन खेल'
अजय राय ने सीधे तौर पर जनप्रतिनिधियों और सत्ताधारी नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपने चहेते ठेकेदारों को काम दिलाने की सिफारिश की जा रही है। चर्चा है कि इन ठेकों के बदले मोटा कमीशन पहले ही तय कर लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि नाम न उजागर करने की शर्त पर सिंचाई विभाग के अधिकारी और खुद ठेकेदार भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि दबाव और कमीशन के कारण काम की गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है। सिल्ट स्क्रैपिंग के नाम पर हो रही इस धांधली से किसानों में भारी आक्रोश है, क्योंकि सफाई सही ढंग से न होने पर उनके खेतों तक पानी पहुँचना असंभव हो जाएगा।
नहरों की दयनीय स्थिति और किसानों की परेशानी
सिंचाई विभाग चकिया के अधिकारियों से शिकायत करते हुए अजय राय ने कई माइनरों का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि सेमरा माइनर की दो किलोमीटर सफाई के लिए मात्र 37,000 रुपये और व्यापुर माइनर की 1.400 किलोमीटर सफाई के लिए सिर्फ 26,000 रुपये दिए गए हैं। इतनी कम धनराशि में गहरी सिल्ट सफाई संभव ही नहीं है। इसके अलावा जनकपुर माइनर, पचवनिया उतरौत माइनर और शिकारगंज नहर की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है। सफाई और मरम्मत न होने के कारण भड़सर, मानिकपुर और उतरौत जैसे कई गांवों के किसान धान की खेती नहीं कर पाए और अब गेहूं की बोआई के समय भी उन्हें पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री को खुला पत्र और आंदोलन की चेतावनी
अजय राय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। इस पत्र में उन्होंने नहरों की उचित सफाई, क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत, धान खरीद की मुकम्मल व्यवस्था, फसलों का उचित मूल्य, कर्ज माफी और मनरेगा के तहत मजदूरों को काम देने जैसी प्रमुख मांगे उठाई हैं। उन्होंने सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों को 'नौटंकी' करार देते हुए कहा कि मोदी-योगी राज में आम जनता और किसान आत्महत्या को मजबूर हैं, जबकि कॉरपोरेट घरानों की पूंजी बढ़ रही है। आईपीएफ और मजदूर किसान मंच ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगी और किसानों को सिंचाई का पानी नहीं मिला, तो वे सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।