आखिर चकिया के मुसहर समाज को कब मिलेंगे प्राथमिकता के आधार पर प्रधानमंत्री आवास..? 
 

उपजिलाधिकारी ने भी एआईपीएफ नेता के सवाल पर यही कहा कि जब तक परिसीमन नहीं होता, तब तक नाम विलोपित कर मुबारकपुर में नहीं जोड़ा जाएगा। यह तब है, जब हल्का लेखपाल और बीएलओ मौके का मुआयना भी कर चुके हैं।
 

परिसीमन की पेंच में उलझा मुसहर समाज का सरकारी लाभ

सीएम योगी की घोषणाएँ बनती जा रही हैं सरकारी 'जुमला'

मजदूर नेता अजय राय ने रखी उपजिलाधिकारी के सामने मांग

चंदौली जिले के चकिया में एक ओर जहाँ मुख्यमंत्री ने मुसहर समाज को प्राथमिकता के आधार पर प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ देने की घोषणा की है, वहीं जमीनी हकीकत इन घोषणाओं को ‘जुमला’ साबित कर रही है। चंदौली जनपद के चकिया ब्लॉक की मुबारकपुर ग्राम पंचायत में दशकों से बसे मुसहर समाज को वोटर लिस्ट में नाम न होने के कारण सरकारी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।

ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (एआईपीएफ) के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने सरकारी लाभ से वंचित इस गरीब मुसहर समाज के मुद्दे को समाधान दिवस पर उपजिलाधिकारी (एसडीएम) के सामने उठाया। राय ने आरोप लगाया कि मुसहर समाज को प्राथमिकता से लाभ देने की सरकारी घोषणा केवल जुमला बनकर रह गई है।

चार दशकों से विस्थापित हैं लाभ से वंचित
दरअसल, कौडिहार गांव के निवासी मुसहर समाज के कई परिवार पिछले चार से पाँच दशकों से मुबारकपुर ग्राम पंचायत में आकर बस गए हैं। विडंबना यह है कि आधार कार्ड और अन्य प्रशासनिक रिकॉर्ड में उनका पता मुबारकपुर का है, लेकिन वोटर लिस्ट में उनका नाम आज भी 12 किलोमीटर दूर और कर्मनाशा नदी पार स्थित कौडिहार ग्राम पंचायत में दर्ज है। इसी कारण, ये परिवार सरकारी योजनाओं, खासकर पीएमएवाई और वनाधिकार कानून के तहत पट्टे के लाभ से वंचित हैं।

अजय राय ने बताया कि कई बार इन परिवारों ने कौडिहार की वोटर लिस्ट से नाम विलोपित कर मुबारकपुर में जोड़ने की मांग की है, लेकिन अधिकारी हर बार परिसीमन न होने का हवाला देकर हाथ खड़े कर देते हैं। उपजिलाधिकारी ने भी एआईपीएफ नेता के सवाल पर यही कहा कि जब तक परिसीमन नहीं होता, तब तक नाम विलोपित कर मुबारकपुर में नहीं जोड़ा जाएगा। यह तब है, जब हल्का लेखपाल और बीएलओ मौके का मुआयना भी कर चुके हैं।

एआईपीएफ की मांग: तत्काल हल निकालो साहब
एआईपीएफ नेता अजय राय ने इस समस्या पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि परिसीमन एक लंबी प्रक्रिया है, तो क्या तब तक यह गरीब और वंचित समाज सरकारी सुविधाओं से वंचित रहेगा? उन्होंने सरकार की घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि पितपुर, मुबारकपुर, कौडिहार, ढ़ोरनपुर, वनभीषनपुर सहित कई गांवों में मुसहर निवास करते हैं, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिला।

राय ने मांग की कि मुसहर समाज, जो जंगल की जमीन पर बसा है, उसे वनाधिकार कानून के तहत तत्काल पट्टा दिया जाए और जो ग्राम पंचायत की सरकारी जमीन पर बसे हैं, उन्हें भी पट्टे देकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। उन्होंने कई वन गांवों को राजस्व गांव घोषित करने की भी मांग की, ताकि इन परिवारों को कानूनी पहचान मिल सके। एआईपीएफ नेता को प्रशासन की ओर से जल्द से जल्द समस्या का हल निकालने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन इस गरीब समाज के लिए 'जुमला' बनी सरकारी घोषणाओं का लाभ कब मिलेगा, यह एक बड़ा प्रश्न बना हुआ है।