मई दिवस की विरासत को आगे बढ़ाओ, भाजपा गठबंधन को चुनाव में शिकस्त दो
 

सभा में बोलते हुए बक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के शासन काल में श्रम अधिकारों पर हमले में तेजी आयी और मजदूरों की सुरक्षित रोजगार की सम्भावना खत्म करने की लगातार कोशिश किया गया।
 

कारपोरेट पूंजी की तानाशाही का विरोध करिए

श्रम अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होईए

संयुक्त वामपंथी लोकतांत्रिक मोर्चा

1मई मजदूर दिवस पर चकिया मे माकपा,भाकपा,माले , आईपीएफ (रेडिकल) , भगत सिंह विचार मंच ,सी आर सी व अखिल भारतीय जनवादी मंच, सर्वहारा  विचार मंच ने निकाला  मार्च व गांधी पार्क में किया सभा

चंदौली जिले के चकिया इलाके में 1 मई के दिन मई दिवस के दिन इस दिन के विरासत को आगे बढ़ाने का काम कार्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ संघर्ष करके ही किया जा सकता है। इसके लिए सबको एक साथ आना होगा और पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाना होगा।

 आज मई दिवस पर चिलचिलाती धूप में माकपा, भाकपा, भाकपा माले, आईपीएफ  ( रेडिकल), भगत सिंह विचार मंच ,अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, पत्थर खदान यूनियन, सीटू, खेत मजदूर यूनियन, सीआरसी, अखिल भारतीय  जनवादी मंच, सहित तमाम पार्टियां व जनसंगठन ने चकिया बाजार में जूलुस निकाला व गांधी पार्क में सभा की।

सभा में बोलते हुए बक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार के शासन काल में श्रम अधिकारों पर हमले में तेजी आयी और मजदूरों की सुरक्षित रोजगार की सम्भावना खत्म करने की लगातार कोशिश किया गया। संघ के नेतृत्व में बनी भाजपा  सरकार ने मजदूरों की रोजगार को छीना ही। वहीं जो मजदूर रोजगार में थे, उनके बोनस, न्यूनतम मजदूरी, ईपीएफ और ईएसआई जैसी जो न्यूनतम जीवन व रोजगार सुरक्षा संम्बधी सुविधाओं को भी लगातार छीनने की कोशिश करती आयी है।


 सच्चाई यह है कि मोदी सरकार अपने  कार्यकाल में  कार्पोरेट हितों को पूरा करने में ही लगी रही और  देशी विदेशी पूंजी घरानों के मुनाफे के लिए श्रम सुधारों के नाम पर श्रमिकों के प्रदत्त अधिकारों पर हमला किया। इसलिए अबकी मजदूर दिवस को श्रम अधिकार रक्षा दिवस के रूप में मना रहे हैं, क्योकि मोदी सरकार ने देशी-विदेशी पूंजीपतियों के मुनाफे बढ़ाने के लिए मजदूर आंदोलन को कुचला, जेल में डालना, बचे खुचे अधिकारों को भी छीनने कि कोशिश किया।

 मई दिवस की परम्परा में लम्बे संघर्षों के दौर में हासिल सीमित कानूनी अधिकारों को छीनने का यह दौर है। मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से ही इसे तेज कर दिया था। एक-एक कर कानूनों को मालिकों के हित में बदलना उसका प्रमुख एजेण्डा रहा है! इसलिए यह मजदूरों के एजेंडे में होना चाहिए। ऎसे में मई दिवस के विरासत जो कि पूरी दुनिया के मजदूरों मानते हैं उसको आगे बढाने की जरुरत है।
 
  आज जरूरत है कि मजदूर विरोधी फास्सिट, भाजपा, संघी के  मजदूर विरोधी चाल का पर्दाफाश  करें व लोकसभा  के चुनाव में शिकस्त दें। तभी उनके हितों की रक्षा होगी।

सभा को माकपा राज्य कमेटी सदस्य शम्भू नाथ यादव,भाकपा के जिला सचिव शुकदेव मिश्रा,माले के राज्य कमेटी सदस्य अनिल पासवान, आईपीएफ ( रेडिकल) के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय, वरिष्ठ  कम्युनिस्ट नेता श्याम बिहारी सिंह, भगत सिंह विचार मंच के मिश्रीलाल पासवान, जनवादी महिला समिति के अध्यक्ष लालमनी विश्वकर्मा, सीटु के जिला अध्यक्ष महानन्द, पत्थर खादान युनियन अखिल भारतीय किसान सभा के मंत्री लालचंद यादव, खेत मजदूर के नेता शिवमूरत राम, चंद्रिका  यादव, जयनाथ, राजेन्द्र यादव, किसानों के नेता बदरूरोजा,  लोकतंत्र सेनानी रामनिवास पाण्डेय आदि ने सम्बोधित किया।

सभा की अध्यक्षता पनारू कुशवाहा ने की और मौके पर विजयी राम, शुकदेव  मिश्रा, लालजी सिंह जैसे लोगों ने सहयोग किया। क्रांतिकारी गीत वसीम अहमद, विदेशी राम, राम बच्चन ने पेश किया।