चकिया के कई  इलाके में जारी है बंदरों का आतंक,  सहदेई देवी को काटकर किया लहूलुहान

वाराणसी नगर निगम द्वारा पड़कर बंदरों को चंद्रप्रभा रेंज के वनों में छोड़ दिया जाता है। शहरी इलाकों में रहने वाले बंदरों को जंगल के बंदर रहने नहीं देते है। 
 

कपड़ा सुखाने गयी बुजुर्ग महिला को बंदर ने काटा

छतों पर अक्सर घूमते रहते हैं बंदर

वाराणसी के बंदरों को जंगल में छोड़ने से बढ़ रही समस्या

चंदौली जिले के चकिया व शिकारगंज इलाके में बंदरों का आतंक जारी है। कई बार शिकायत के बाद भी किसी ने कोई एक्शन नहीं लिया। विकासखंड मुख्यालय के निर्भयदास मोहल्ले में सहदेई देवी को बंदर ने दौड़ाकर काट लिया लिया।
आपको बता दें कि नगर के 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला छत पर कपड़ा सुखाने गयी थी, तभी बंदर ने हमला कर उन्हें नोंच लिया। जिससे वह लहूलुहान हो गई। बंदरों के आतंक के चलते लोग अपने घरों में कैद रहते हैं। लोगों का जीना मुहाल हो गया है। बंदरों के आतंक से लोग अब भयभीत रहते हैं।

बताते चले कि वाराणसी नगर निगम द्वारा पड़कर बंदरों को चंद्रप्रभा रेंज के वनों में छोड़ दिया जाता है। शहरी इलाकों में रहने वाले बंदरों को जंगल के बंदर रहने नहीं देते है।  वहीं दूसरी ओर लोगों के बीच में रहने वाले बंदर भी जंगलों में नहीं रह पाते। इसलिए वह नगर की तरफ रुख कर देते हैं और नगर में आकर उत्पात मचाते रहते हैं।
बंदरों का आतंक निरंतर बढ़ने से लोग परेशान हैं। प्रशासन से बार-बार लोग बंदरों से छुटकारा दिलाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। निरंतर बंदरों की बढ़ रही संख्या लोगों के लिए समस्या बनती जा रही है। बंदरों से बचने के लिए लोग हजारों रुपए खर्च कर अपने घर के छतों पर लोहे की जाली लगवाने को विवश हो रहे। बंदर हर रोज किसी न किसी वार्ड में बच्चों, बुजुर्गों, राहगीरों व महिलाओं को काट रहे हैं।

लोगों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि बंदरों को पकड़वाकर इनके आतंक से छुटकारा दिलाए। बंदरों की टोलियां घरों में घुसकर घर में रखा सामान उठा कर ले जाते हैं। बंदरों के डर से गलियों में, छतों पर बच्चे नहीं खेलते हैं। महिलाएं भी छतों पर कपड़े सुखाने के बाद उनकी रखवाली करती हैं। बंदर छतों पर सूखने वाले कपड़े तक ले जाते हैं। रोकने पर काट कर घायल कर व देते हैं।