कब बढ़ेंगी अस्पतालों पर इलाज की सुविधा, कब तक रेफर होते रहेंगे मरीज
 

सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के लापरवाही से  मौत व दुर्व्यवहार  की खबरें भी लगातार आती हैं। परिजनों का सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर आरोप लगता रहा है।
 

सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों का हाल बुरा

केवल मरीजों को रेफर करने का फैशन

इलाज के लिए सुविधा बढ़ाने की मांग

अजय राय बोले- जांच व पैथोलॉजी की भी होनी चाहिए सुविधा

चंदौली जनपद में स्वास्थ्य विभाग में बिना पंजीकरण व मानक के विपरित चल रहे प्राइवेट अस्पतालों व पैथोलॉजी लैब पर रोक लगाने की आईपीएफ नेता अजय राय ने मांग उठाई है और कहा है कि  सरकार से  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का बजट बढ़ाए और वहां स्टाफ की नियुक्ति करे, ताकि सरकार की मंशा के अनुरुप सेवाओं को दिया जा सके।

चंदौली जिले में स्वास्थ्य विभाग  में सरकारी सुविधा की कमी से स्वास्थ्य केंद्र व जिला संयुक्त चिकित्सालय  में मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। इसके नतीजतन परिजनों को अपने  मरीजों को लेकर प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता हैं। साथ ही विभिन्न जांचों के लिए प्राइवेट पैथोलॉजी लैब व डाइग्नोसटिक केन्द्र का सहारा लेना पड़ता है।

जिले के अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अन्य सरकारी अस्पताल केवल  मरीजों को रेफर करने वाले अस्पताल के रूप में काम करते देखे जा रहे हैं । सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के लापरवाही से  मौत व दुर्व्यवहार  की खबरें भी लगातार आती हैं। परिजनों का सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर आरोप लगता रहा है। इनकी सच्चाई जानने और कार्रवाई करने के बजाय अधिकारियों द्वारा जांच कराने का केवल कोरा आश्वासन दिया जाता है, लेकिन हकीकत में कार्यवाही के नाम पर कुछ नहीं होता है।

 सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर डाक्टर्स की कमी  से लेकर अन्य स्टॉफ की कमी ज्यादा है। कोविड 19  के समय रखे संविदा के स्टाफ को भी हटा लिया गया है, जिससे और भी परेशानी बढ़ रही है। उनका समायोजन करने से  थोड़ी बहुत राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन विभाग ने उनको एक झटके में हटा दिया। सरकारी स्वास्थ्य विभाग में नई भर्ती  भी नहीं हो रही है।

अजय राय ने कहा कि चकिया जिला संयुक्त चिकित्सालय में खरीद कर आई अल्ट्रासाउंड मशीन अनुभवी  स्टाफ के कारण खराब हो रही है। नतीजतन बाहर से मरीजों को ज्यादा पैसा देकर अल्ट्रासाउंड करना पड़ता है। सरकारी दवाएं भी मरीजों के रोग के अनुसार सरकारी अस्पताल में नहीं मिलती हैं। नतीजतन परिजनों को बाहर से खरीदना पड़ता है, जिसमें चर्चा हैं कि डाक्टर को निश्चित कमीशन भी मिलता है। इसीलिए बाहर की  जांच और दवाएं लिखने का फैशन बढ़ रहा है।                                                                 जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से इस पर ध्यान देने के लिए कहा है और जल्द से जल्द इन समस्याओं को दूर करने की गुहार लगायी है।