भगवान राम और मां सीता के आदर्श पर चलकर मनुष्य जीवन को बना सकता है महान - राम छबीले दास
 

  उन्होंने कहा कि धर्म-कर्म की आलोचना करने वाले के सिर पर पाप की सवारी हो जाती है। जिसे इसी धरा धाम पर नरक भोगना पड़ता है।
 

चंदौली जिला के चकिया तहसील अंतर्गत उसरी गांव में मां काली मंदिर परिसर में नारायण यज्ञ सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे शतचंडी महायज्ञ एवं नव दिवसीय राम कथा के दौरान कथावाचक 1008 राम छबीले दास जी महाराज ने श्रोताओं को कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि जो गुरु, माता-पिता की सेवा करें बड़ों का सम्मान करें वह अनुरागी कहलाता है, वहीं और जो धर्म कर्म को तज कर यज्ञ पर हास्य परहास्य करें वह कपटी कहलाता है।


  उन्होंने कहा कि धर्म-कर्म की आलोचना करने वाले के सिर पर पाप की सवारी हो जाती है। जिसे इसी धरा धाम पर नरक भोगना पड़ता है। माता सीता की विदाई का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जनकपुरी से जब मां सीता का विदाई होने लगा तो उनकी मां सुनैना कहती है कि बेटी ससुराल में जाना तो सबसे पहले जाग जाना, ससुराल में चांद बन कर रहना, सबकी आंखों के तारे बनना। सबका आदर सम्मान करना आदि संस्कारवान बातों को समझा कर बेटी को घर से विदा किया। 


कथावाचक राम छबीले दास महाराज ने कहा कि रामकथा जगत जननी मां सीता,आदर्श पुरुषोत्तम भगवान राम के सिद्धांतों पर मानव समाज को चलने की शिक्षा प्रदान करती है। रामकथा रूपी मंदाकिनी में मानव डुबकी लगाकर जीवन को भवसागर से पार लगा सकता है।


     इस दौरान परमानंद पांडेय, शर्मा नंद पांडेय, अशोक पाण्ड़ेय, विद्याधर पांडेय, विपिन खरवार, दिलीप गुप्ता, डॉक्टर अभिषेक पांडेय, विकास पांडेय एड़वोकेट, विनीत, रितु पांडेय, नीलम पांडेय, दीप्ति पाण्ड़ेय, सविता देवी दीपप्रकाश, ओमप्रकाश, शंकर, गणेश, अनुज,मनीष, राजेश, नरेश, शिवपूजन, गायत्री, सावित्री, अवधेश, विवेक आदि श्रद्धालुओं ने रामकथा का रसपान किया। वही गुलशन कुमार, समर, जयशंकर आदि वादकगणों ने अपनी कला का कौशल दिखलाया।