रामकथा के सातवें दिन राम वनवास व राम केवट संवाद कथा, भावुक हो गए श्रोतागण
 

चंदौली जिले के शहाबगंज क्षेत्र के अमांव गांव में कर्मनाशा नदी के तट पर बाबा मुरलीधर खेल मैदान में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा सातवें दिन राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की व्याख्या किया।
 

दूसरे की मर्यादा को सुरक्षित रखना जरूरी

तभी रहेगी आपकी मर्यादा सुरक्षित

कथावाचिका आस्था दुबे की संगीतमयी रोचक रामकथा 
 

चंदौली जिले के शहाबगंज क्षेत्र के अमांव गांव में कर्मनाशा नदी के तट पर बाबा मुरलीधर खेल मैदान में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा सातवें दिन राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की व्याख्या किया। जबलपुर मानस नगर पियूषा से पधारी कथा व्यास आस्था दुबे ने संबोधित करते हुए कहा कि जब आप दूसरे की मर्यादा को सुरक्षित रखेंगे तभी आपकी मर्यादा सुरक्षित रह सकेगी।


भगवान राम 14 वर्ष वनवास के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा घाट पर पहुंचे और केवट से गंगा पार करने के लिए नाव मांगा तो केवट ने कहा, मैं तुम्हारे मर्म जान लिया हूं चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। पहले पांव धुलवाओ फिर नाव पर चढ़ाऊंगा।  भगवान दूसरों की मर्यादा को समझते हैं, वैसे ही घाट की एक मर्यादा होती है। भगवान केवट के पास इसलिए आए कि वह हम लोगों से कहना चाहते हैं कि हम लोग बहुत बड़े बड़े लोगों के दरवाजे पर उनके सुख-दुख में जाते रहते हैं।

भगवान कहना चाहते हैं कि हमें कभी छोटे लोगों के यहां भी जाना चाहिए। राम केवट कथा सुनने से हमें यह सीख लेनी चाहिए। कथा को भाव व प्रेम से सुनने वाले ही ज्ञान प्राप्त करते हैं। रामकथ का मुख्य रस करुण वास्तव में हृदय में करुणा आ जाए तो वीरता और पराक्रम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। 


इस अवसर पर होसिला विश्वकर्मा,राजू चौहान, शालिक चौहान,दया राम, हनुमान, दशरथ गुप्ता,पखडू गुप्ता,कल्लन गुप्ता, बजरंगी, मंगरू गौड़, विजय कुमार अमित कुमार विकास कुमार गीता देवी,कुलवता शान्ति देवी, शकुंतला देवी, सहित भक्त गण शामिल रहे।