बेन गांव में श्रीराम कथा सुना रही हैं कथावाचिका शालिनी त्रिपाठी
 

राम ने जब गुरु विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह गौतम ऋषि का विश्रामालय है, यह जो पत्थर देख रहे हो उनकी पत्‍‌नी अहिल्या है जो श्राप बस पत्थर हो गई है।
 

अहिल्या प्रसंग सुन श्रोता हुए विभोर

प्रभु श्रीराम का चरण रज पाकर पत्थर से स्त्री बनीं अहिल्या

जानिए कैसे भगवान ने अहिल्या का किया उद्धार

चंदौली जिला के शहाबगंज विकासखंड अंतर्गत बेन गांव स्थित हनुमान मंदिर पर चल रहे नव दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा की चौथी निशा पर शुक्रवार को कथावाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने अहिल्या चरित्र का वर्णन किया।

कथा वाचिका शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि जब राम लक्ष्मण गुरु के साथ मिथिला के राजा जनक के यहां धनुष यज्ञ में शामिल होने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक आश्रम मिला। जहां एक विशाल पत्थर का टुकड़ा पड़ा था। राम ने जब गुरु विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह गौतम ऋषि का विश्रामालय है, यह जो पत्थर देख रहे हो उनकी पत्‍‌नी अहिल्या है जो श्राप बस पत्थर हो गई है। तब राम ने अहिल्या को तारना चाहा किंतु सूर्य वंश में स्त्री को पैर से छूना मना था। राम की यह दुविधा देख पवन देव ने अपने झोकों से प्रभु के चरणों की धूल पत्थर पर डाल दिया।

वहीं प्रभु का चरण रज पाते ही पत्थर नारी हो गई। अहिल्या को प्रगट होते ही वहां ब्रह्मा, शंकर सहित अनेक देव गण पहुंच गए और भगवान राम का जयघोष करने लगे। कहने का अर्थ यह है कि जब भी भक्त मुसीबत में होता है भगवान उसे मुक्ति दिलाने के लिए वहां पहुंच जाते हैं।

 इस दौरान मनोज तिवारी, प्रताप नारायण, राहुल दुबे, वीरेंद्र द्विवेदी ,रामचंद्र जायसवाल ,रामदुलारे तिवारी, प्रदीप, भूपेंद्र यादव ,बृजमोहन, पंचदेव द्विवेदी, कंचन तिवारी, रागिनी द्विवेदी, माला देवी, मंगल द्विवेदी सहित श्रोता उपस्थित थे।