बाबा साहब अंबेडकर ने दिया -अंधे को आंख और गूंगे को ज़बान, शहाबगंज में उनके आदर्शों पर हुआ चिंतन
श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया महापरिनिर्वाण दिवस
बाबा साहब डॉ. अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस
अतायस्तगंज अंबेडकर पार्क में दी गयी श्रद्धांजलि
वक्ताओं ने बताया- कैसे दी विचारों की क्रांति
चंदौली जिले के शहाबगंज क्षेत्र के अतायस्तगंज स्थित अंबेडकर पार्क में शनिवार को भारत रत्न, संविधान निर्माता, महान शिक्षाविद्, नारी मुक्ति दाता और करोड़ों दलित-शोषितों के मसीहा परम पूज्य बोधिसत्व डॉ. भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। इस अवसर पर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी शुरुआत बाबा साहब के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। उपस्थित सभी लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर उनके महान और अतुलनीय योगदान को विनम्रतापूर्वक स्मरण किया। यह कार्यक्रम बाबा साहब के जीवन मूल्यों, संघर्ष और विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का माध्यम बना।
ज्ञान, संघर्ष और तपस्या से दी समाज को नई दिशा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधान संघ ब्लॉक अध्यक्ष अरविंद मिश्रा उर्फ गुड्डू ने डॉ. अंबेडकर के जीवन और कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने केवल किताबी ज्ञान अर्जित नहीं किया, बल्कि अपने ज्ञान, असाधारण संघर्ष और गहन तपस्या से समाज को एक नई दिशा प्रदान की। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि बाबा साहब 'अंधे को आंख, बहरे को कान और गूंगे को ज़बान देने वाले' व्यक्तित्व थे। उन्होंने भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान देकर देश के लोकतंत्र की नींव को बेहद मज़बूत किया। उन्होंने जोर दिया कि आज भी बाबा साहब के विचार हर पीड़ित, वंचित और शोषित समुदाय के लिए एक शक्तिशाली प्रकाश स्तंभ की तरह हैं, जो उन्हें सही मार्ग दिखाते हैं।
अंबेडकर: एक व्यक्तित्व नहीं, विचारों की क्रांति हैं
दलित चिंतक नेता एवं वरिष्ठ पत्रकार रतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल एक महान व्यक्तित्व नहीं, बल्कि विचारों की एक अनूठी और सतत क्रांति हैं। उन्होंने बताया कि अंबेडकर ने समाज में शिक्षा, समानता और बंधुत्व की जिस तेजस्वी मशाल को प्रज्वलित किया था, वह आज भी नई पीढ़ी का मार्गदर्शन कर रही है और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि समाज सुधार और समतामूलक समाज की स्थापना के लिए डॉ. अंबेडकर द्वारा दिखाया गया मार्ग आज के दौर में भी सबसे अधिक प्रासंगिक है।
संविधान मानवाधिकारों का सबसे सशक्त दस्तावेज
व्यापारी नेता अजय जायसवाल ने कहा कि बाबा साहब ने करोड़ों लोगों के जीवन में आत्मसम्मान और अधिकारों की भावना को जागृत किया। उन्होंने हमेशा शिक्षा को ही समाज परिवर्तन का सबसे बड़ा और शक्तिशाली हथियार बताया। इसी क्रम में ग्रापए तहसील अध्यक्ष विनोद सिंह ने डॉ. अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का बनाया हुआ संविधान विश्व में मानवाधिकारों का सबसे सशक्त दस्तावेज है। इसकी रक्षा करना और उसके हर प्रावधान का पालन करना हम सभी भारतीय नागरिकों की परम जिम्मेदारी है। उन्होंने आह्वान किया कि बाबा साहब के सपनों के भारत के निर्माण के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
इस भावपूर्ण श्रद्धांजलि कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र नारायण मौर्य, मिथिलेश कुमार, रत्नेश यादव, मनोज गोंड बाबूलाल भास्कर, योगेश कुमार, छोटू, पवन, पप्पू शिवचरन, महेश, पियूष, शंकर, बाबुलाल, धरमू राम, आनन्द, बलाकू राम, नवीन, पवन, लालू संदीप इंद्रजीत पिंकू सरवन बजरंगी समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।