संस्कार विहीन जीवन धुंधकारी समस्या को करता है प्रकट - श्री शरण दास जी
 

श्री शरण दास जी ने नव दिवसीय कथा के तीसरी निशा पर श्रोताओं को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि मानव के जीवन में संस्कार का होना बहुत जरूरी है।
 

आचार्य पंडित श्री शरण दास जी

श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण

चंदौली जिले के चकिया तहसील अंतर्गत बन देवी ग्राम में वनदेवी माता मंदिर के प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में आचार्य पंडित श्री शरण दास जी ने नव दिवसीय कथा के तीसरी निशा पर श्रोताओं को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि मानव के जीवन में संस्कार का होना बहुत जरूरी है। संस्कार विहीन जीवन ही धुंधकारी की समस्या को प्रकट करता है।

 
उन्होंने कहा कि जब माता-पिता संस्कारवान होंगे तो परिवार के बच्चे संस्कारवान होगें और फिर समाज संस्कारवान होगा। अपने धर्म और संस्कृति खो जाने के कारण पतन की ओर बढ़ रहे समाज को दिशा निर्देश देते हुए कथावाचक शरण दास जी ने सुशिक्षित एवं संस्कारवान समाज निर्माण की श्रोताओं को प्रेरणा दी। 


उन्होंने कहा कि कथा कल्याण का विषय है, मनोरंजन का साधन नहीं। अतः श्रोता और वक्ता दोनों कथा की मर्यादा को समझें, जिससे कथा मूल रूप से समाज में कल्याण करती रहे। आज की इस कथा में कथावाचक शरण दास जी ने मानव जीवन के उद्देश्य एवं स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाया।


इस दौरान आयोजक ओम प्रकाश पांडेय, समाज सेविका डॉ गीता शुक्ला, संतोष कुमार मौर्य, ज्ञानचंद केशरी, शीतला प्रसाद केशरी, जितेंद्र कुमार, प्रमोद कुमार पुजारी, डॉ राम दुलारे यादव, प्रेम शंकर, सुरेश सोनकर, हौसला प्रजापति, हंशु, राकेश पटेल, सरजू प्रजापति, घुरहू विश्वकर्मा, शंभू प्रजापति आदि श्रोतागण उपस्थित रहे।  संचालन राजेश कुमार विश्वकर्मा ने किया।