दुलहिया दाई से जुड़ा राखी के त्योहार का किस्सा, सिकंदरपुर के मुस्लिम सूबेदार सिकंदरशाह को भेजी थी राखी
अंजान दुल्हन की गुहार पर पहुंचे थे सिकंदरशाह
हाजीपुर गांव के पास है सती स्थल
जानिए इस जगह का ऐतिहासिक महत्व
चंदौली जिले के चकिया ब्लॉक के हाजीपुर गांव के पास स्थित दुलहिया दाई का सती स्थल क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है। कहा जाता है दुलहिया दाई ने सिकंदरपुर के मुस्लिम सूबेदार सिकंदरशाह को राखी भेजी थी। राखी का मान रखने के लिए दुलहिया दाई के अपहरण की कोशिश कर रहे राजा की सेना के साथ सिकंदरशाह ने युद्ध किया था।
आपको बता दें कि यह मुगल बादशाह हुमायूं और चित्तौड़ की रानी कर्मावती की दास्तान को दोहराती प्रतीत होती है। सिकंदरपुर के बुजुर्ग के मुताबिक यह कहानी उनके पूर्वजों ने सुनाई थी। इसके अनुसार चकिया तहसील केरा-मंगरौर परगना मुगलों के हाथ से निकलकर अवध के नवाबों के हाथ में चला गया था। अवध के नबाब याहिया मिर्जा अमानी ने सिकंदरर शाह को सिकंदरपुर का सूबेदार नियुक्त किया था।
सिकंदररशाह ने चंद्रप्रभा नदी के किनारे किले का निर्माण कराया था, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं। वहीं, बिहार से शादी करके अपनी दुल्हन को लेकर एक जागीरदार का पुत्र चकिया होते हुए मिर्जापुर जा रहा था। उसी दौरान हाजीपुर गांव के पास हमलावरों ने दूल्हे के काफिले को रोक लिया और दुल्हन को उनके हवाले करने का आदेश दिया।
इससे क्रोधित दूल्हा हमलावरों के साथ युद्ध करने लगा, जिसमें वह शहीद हो गया। बेबस दुल्हन ने हरकारे के जरिये सिकंदरपुर के सूबेदार सिकंदर शाह के पास राखी भेजकर मदद की गुहार लगाई। अज्ञात बहन की गुहार पर सिकंदर शाह अपनी सेना के साथ मौके पर पहुंचे और हमलावरों को पराजित किया। सिकंदर शाह के लौटने के बाद दुल्हन ने पति की मौत के गम में आग लगाकर जान दे दी।
हाजीपुर के पास स्थित दुलहिया दाई का सती स्थल भाई-बहन के प्रेम की याद दिलाता है। यहां विवाहित महिलाएं दर्शन-पूजन के लिए आती हैं।