नैनो यूरिया-डीएपी के प्रयोग करना है फायदेमंद, घटेगी खेती-बारी की लागत
 

कृषि में बढ़ते लागत को कम करने के लिए तरल नैनो यूरिया व डीएपी का प्रयोग करना आने वाले समय की जरूरत है। इसलिए शासन के निर्देश पर सभी सहकारी समितियां नैनो यूरिया व नैनो डीएपी का बिक्री प्रारंभ कर रही हैं।
 

सहायक निबंधक अजय कुमार मौर्य की कार्यशाला

उर्वरक की लागत में करने के लिए टिए टिप्स

ब्लाक सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

किसानों को बताया नैनो यूरिया इस्तेमाल करने का तरीका

चंदौली जिले के शहाबगंज ब्लाक सभागार में शनिवार को इफको द्वारा किसानों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया,  जिसमें उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग को कम करने व तरल नैनो यूरिया व डीएपी के प्रयोग करने के बाबत जानकारी दी गई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहायक आयुक्त एव सहायक निबंधक अजय कुमार मौर्य ने कहा कि उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। उसको पूरा करने के लिए और अधिक मात्रा में उर्वरक का प्रयोग किया जा रहा है। कृषि में बढ़ते लागत को कम करने के लिए तरल नैनो यूरिया व डीएपी का प्रयोग करना आने वाले समय की जरूरत है। इसलिए शासन के निर्देश पर सभी सहकारी समितियां नैनो यूरिया व नैनो डीएपी का बिक्री प्रारंभ कर रही हैं।

मौके पर मौजूद अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि नैनो डीएपी का प्रयोग सबसे पहले बीज शोधन में करना चाहिए। इसके लिए 5 एमएल डीएपी एक किलोग्राम बीज में करना चाहिए।जड़ उपचार के लिए एक लीटर पानी में 5 एमएल तथा स्प्रे के लिए प्रयोग करते समय एक लीटर पानी में 4 एमएल का प्रयोग लाभकारी होता है। तरल उर्वरक का स्प्रे करते समय सुबह 11 बजे से  दोपहर 2बजे तक प्रयोग नहीं करना चाहिए। स्प्रे के लिए सुबह व शाम का समय सबसे उत्तम होता है।

इस दौरान शिव भगवान द्विवेदी, एडीओ कोआपरेटिव सुनील कुमार पाल, खरौझा समिति के अध्यक्ष श्रीकांत मौर्य, शहाबगंज के इन्द्रजीत गुप्ता, फंतू मिश्र, बाबू नंदन मौर्य, सचिव सुदर्शन यादव, भोला यादव , बद्री यादव सहित आदि कर्मचारी व किसान उपस्थित रहे।