मिल्कीपुर में ज़मीन अधिग्रहण बना विवाद का मुद्दा, ग्रामीणों में आक्रोश और प्रशासन पर गंभीर आरोप
मिल्कीपुर गांव में ज़मीन अधिग्रहण को लेकर गहराया विवाद
प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश
महिलाओं और बुजुर्गों से बदसलूकी के गंभीर आरोप
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का उल्लंघन करने का आरोप
ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
चंदौली जनपद के पीडीडीयू नगर अंतर्गत मिल्कीपुर गांव में प्रस्तावित परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन बिना किसी कानूनी प्रक्रिया, सहमति या मुआवजे के उनकी उपजाऊ जमीन जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। शुक्रवार को भारी संख्या में पुलिस बल, राजस्व अधिकारी और प्रशासनिक अमला गांव में पहुंचा, जिसके बाद विवाद और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो महीने में तीन बार (20 मई, 3 जुलाई और 25 जुलाई) प्रशासन, एसडीएम और भारी पुलिस बल के साथ गांव पहुंचा और ज़बरदस्ती ज़मीन पर कब्जा करने की कोशिश की गई। महिलाओं और बुजुर्गों द्वारा विरोध करने पर प्रशासन ने उन्हें बलपूर्वक खेतों से हटाया, उनके मोबाइल फोन छीने और कोई बात सुने बिना खुदाई शुरू कर दी। इस पूरी कार्रवाई को ग्रामीणों ने "तानाशाही और अमानवीय" बताया।
कानूनी प्रक्रिया का नहीं किया गया पालन
ग्रामीणों का मुख्य आरोप यह है कि ज़मीन अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत नहीं किया जा रहा है। अधिनियम की धारा 2(2) के अनुसार, किसी निजी परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहण के लिए कम से कम 70% भूमि स्वामियों की लिखित सहमति जरूरी होती है, जबकि मिल्कीपुर में अधिग्रहण से पहले न तो कोई सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया और न ही ग्रामीणों से राय ली गई।
ग्रामीणों का कहना है कि न ही उन्हें अधिग्रहण की अधिसूचना दिखाई गई, न ही मुआवजे की बात हुई, और न ही पुनर्वास की कोई योजना बताई गई। इसके बावजूद प्रशासन ज़मीन पर कब्जा करने के लिए बार-बार पुलिस बल का सहारा ले रहा है।
महिलाओं से अभद्रता के आरोप
घटना के दौरान महिलाओं ने खेतों में खड़े होकर ज़मीन पर कब्जे का विरोध किया। ग्रामीण महिला सावित्री देवी ने बताया कि “हम शांति से विरोध कर रहे थे, लेकिन पुलिस वाले और कुछ सादे कपड़ों में आए लोगों ने हमें खींचकर हटाया, धक्का दिया और मोबाइल छीन लिया।”
कुछ ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन के साथ मौजूद कुछ अज्ञात युवक गाली-गलौज और अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे थे, लेकिन किसी अधिकारी ने उन्हें रोका नहीं।
सरकारी ज़मीन होते हुए भी किसानों की उपजाऊ ज़मीन पर नजर
गांववालों ने सवाल उठाया कि जब पास के रालूपुर गांव में सरकारी भूमि पड़ी हुई है, तो प्रशासन मिल्कीपुर के किसानों की उपजाऊ ज़मीन को क्यों निशाना बना रहा है? किसानों ने आशंका जताई कि यह पूरा मामला प्रभावशाली लोगों के दबाव में चल रहा है और इसमें ज़मीन माफियाओं की भूमिका भी हो सकती है।
आंदोलन की चेतावनी, डीएम से हस्तक्षेप की मांग
ग्रामीणों ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर प्रशासन ने ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी और कानूनी तरीके से नहीं चलाया, तो वे अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेंगे और ज़रूरत पड़ी तो जन आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। उन्होंने जिलाधिकारी से मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर ग्रामीणों को न्याय दिलाने की मांग की है।