विधानसभा 2022 स्पेशल : क्या आप जानते हैं मुगलसराय व सकलडीहा विधानसभा की दो खास बातें
 

चंदौली जिले की 4 विधानसभा सीटों में से मुगलसराय और सकलडीहा (पहले धानापुर) विधानसभा सीट ने एक खास रिकॉर्ड बनाया है.....................
 

विधानसभा 2022 स्पेशल

मुगलसराय व सकलडीहा विधानसभा

छब्बू पटेल व बैजनाथ यादव का रिकॉर्ड

चंदौली जिले की 4 विधानसभा सीटों में से मुगलसराय और सकलडीहा (पहले धानापुर) विधानसभा सीट ने एक खास रिकॉर्ड बनाया है और वह सीट तमाम तरह के उलटफेर के बावजूद अपनी दो खास जानकारियों के लिए चर्चित रही हैं। मुगलसराय के साथ साथ सकलडीहा विधानसभा सीट में कई बार परिसीमन और नाम के परिवर्तन के बाद भी अनोखे कीर्तिमान के लिए चर्चित हैं, जिसे बाकी दो विधानसभा के जनप्रतिनिधियों के लिए तोड़ना इतना भी आसान नहीं है ।  फिलहाल 2022 के होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इन दोनों सीटों के ये रिकॉर्ड टूटने वाले नहीं है।

 आपको बता दें कि चंदौली जिले की 4 विधानसभा सीटों में फिलहाल 380 मुगलसराय विधानसभा सीट, 381 सकलडीहा विधानसभा सीट, 382 सैयदराजा विधानसभा सीट और 383 चकिया विधानसभा सीट का नाम लिया जाता है। जहां तक मुगलसराय व सकलडीहा विधानसभा सीट के बारे में चर्चा है.. यह सीट अपने उम्मीदवारों और पूर्व विधायकों को पहले काफी पसंद किया करती थी लेकिन पिछले 2 विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो हर बार मतदाता अपनी पसंद बदल दे रहा है और नए विधायक को चुनकर विधानसभा में भेज रहा है।

 मुगलसराय व सकलडीहा विधानसभा का यह रिकॉर्ड विधायकों को बदलने से ही जुड़ा हुआ है। इन दोनों सीटों में एक-एक हैट्रिक लगाने वाले विधायक दिए हैं तो वहीं 17 विधानसभाओं के चुनाव में केवल 9 विधायक विधानसभा में भेजने का काम किया है, जबकि बाकी दो विधानसभाओं से 11 विधायक विधानसभा में गए हैं।

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382 सैयदराजा विधानसभा का रिकॉर्ड

 382 सैयदराजा विधानसभा की बात करें तो पहले इस विधानसभा सीट को चंदौली विधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था, यहां कुल हुए 17 विधानसभाओं के चुनाव में 11 विधायकों को विधायक बनने का मौका मिला है। इसमें से चंद्रशेखर सिंह (1967), छन्नूलाल शास्त्री (1983), दीनानाथ भास्कर (1993), मनोज कुमार सिंह डब्लू (2012) और सुशील सिंह (2017) जैसे विधायकों को केवल एक बार विधानसभा में जाने का मौका मिला है, जबकि रामलखन दो बार (1952 व 1957) पंडित कमलापति त्रिपाठी चार बार (1952, 1957, 1962 और 1969), पंडित राम प्यारे तिवारी दो बार (1974 व 1977), संकठा प्रसाद शास्त्री दो बार (1980 व 1985),   शिवपूजन राम दो बार (1991 व 1996) व शारदा प्रसाद दो बार (2002 व 2007) जैसे विधायक एक से अधिक बार विधानसभा में जाने का काम कर चुके हैं।

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383 चकिया विधानसभा का रिकॉर्ड

 अगर बात 383 चकिया विधानसभा सीट की की जाए तो यहां से भी 17 विधानसभाओं के चुनाव में कुल 11 विधायक निर्वाचित हुए थे, जिनमें श्याम देव (1977), शिव तपस्या पासवान (2002), जितेंद्र कुमार एडवोकेट (2007), पूनम सोनकर (2012) और शारदा प्रसाद (2017) जैसे विधायकों को केवल एक बार ही जनता ने विधानसभा में भेजा है, जबकि इस सीट से राम लखन तीन बार (1952, 1957 व 1969), पंडित कमलापति त्रिपाठी (1952 व 1957), बेचन राम दो बार (1967 व 1974),  खरपत राम दो बार (1980 व 1985),  सत्य प्रकाश सोनकर दो बार (1989 व 1993) व राजेश बहेलिया दो बार (1991 व 1993) विधायक चुने गए।

380 मुगलसराय विधानसभा का रिकॉर्ड

 वहीं अगर 380 मुगलसराय विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां हुए कुल 17 विधानसभाओं के चुनाव में केवल 9 विधायक ही विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर पाए हैं, जिनमें सर्वाधिक बार विधानसभा में जाने का रिकॉर्ड स्वर्गीय गंजी प्रसाद और छब्बू पटेल के नाम है। स्वर्गीय गंजी प्रसाद 1974 में पहली बार बीकेडी के टिकट पर और दूसरी बार जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन 1989 में मुगलसराय सीट पर उन्होंने निर्दलीय विधायक के रुप में जीत हासिल करते हुए अपना परचम लहराया था और विधानसभा में तीन बार पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया। लेकिन यह रिकॉर्ड भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले छब्बू पटेल ने तोड़ दिया। छब्बू पटेल भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मुगलसराय विधानसभा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीते हुए हैट्रिक लगाने का काम किया है छब्बू पटेल चंदौली जिले में 1 सीट से लगातार तीन चुनाव जीतने वाले दो विधायकों में से एक हैं। यह गौरव ना तो पंडित कमलापति त्रिपाठी को हासिल हुआ है और ना ही अब तक अजेय कहे जाने वाले विधायक सुशील सिंह को। सुशील सिंह लगातार तीन बार विधायक जरूर चुने गए हैं, लेकिन वह अलग-अलग सीटों से चुने गए हैं। एक ही सीट से लगातार तीन चुनाव सन 1991 में 1993 में और 1996 में जीतने का कारनामा छब्बू पटेल ने कर दिखाया है। इसके अलावा केवल तीन लोग दो बार विधानसभा में गए जिसमें उमाशंकर तिवारी (1952 व 1969), श्यामलाल यादव (1957 व 1967), रामकिशुन यादव (2002 व 2007) शामिल हैं, जबकि राजनरायन (1962), बब्बन चौहान (2012) व साधना सिंह (2017) में जीत हासिल करके केवल एकबार विधानसभा में गए हैं। 

381 सकलडीहा विधानसभा का रिकॉर्ड

 चंदौली जिले की महाइच, धानापुर और अब 381 सकलडीहा विधानसभा सीट के नाम से जाने जाने वाली विधानसभा में पहले विधायक के रुप में कामता प्रसाद विद्यार्थी चुनाव जीते थे और 2017 में हुयी 17वीं विधानसभा में विधायक के रुप में समाजवादी पार्टी के प्रभु नारायण सिंह यादव विधायक बने हैं। इस दौरान विधानसभा में आजादी के बाद अब तक हुए 17 चुनावों में केवल 9 विधायक इस सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा में गए हैं, जिनमें से कामता प्रसाद विद्यार्थी दो बार (1952 व 1957) बैजनाथ यादव 3 बार (1967,1969 व 1974),  कैलाश नाथ सिंह यादव दो बार (1977 व 1991), रामजन्म सिंह दो बार (1980 व 1985) और प्रभु नारायण सिंह यादव तीन बार (1996, 2002 व 2017) तथा सुशील सिंह दो बार (2007 व 2012) में यहां से विधायक बने हैं। यहां से राजनारायन (1962), दयाशंकर सिंह (1989) और रामजीत भारद्वाज (1993) केवल तीन ऐसे विधायक थे, जिन्हें जनता ने दोबारा नहीं चुना और वे केवल एक बार विधानसभा में जा सके। बैजनाथ यादव धानापुर से हैट्रिक लगाने वाले पहले विधायक बने थे और इन्होंने 1967,1969 व 1974 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था।