राजकीय नहीं है मेडिकल कॉलेज, अस्पताल पर लिखा है असली नाम, पर चुप्पी साधे हैं अफसर
अब क्या हो गया जिले के मेडिकल कॉलेज का नाम
जिला अस्पताल के बोर्ड को देखकर लगा लीजिए अंदाजा
अधिकारी सही नाम बताने को लेकर दुविधा में
मंजूरी के बाद बदला है सरकार ने फैसला
बता दें कि जिला मुख्यालय पर बाबा कीनाराम स्वशासी राज्य चिकित्सालय महाविद्यालय चंदौली से अब पंडित कमलापति त्रिपाठी जिला संयुक्त चिकित्सालय को संबद्ध कर दिया गया है। उसके लिए चंदौली के जिला अस्पताल की छत के टॉप पर बोर्ड भी लगाया गया है।
वहीं इसी परिसर में निर्माण इकाई के बोर्ड में लिखा हुआ है कि परियोजना का नाम जनपद चंदौली के राजकीय मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत अस्पताल परिसर के निर्माण लिखकर जानकारी दी जा रही। इसके लिए परियोजना की लागत 116.5 करोड़ लिखा गया है। वहीं कार्यदायी संस्था के रूप में लोक निर्माण विभाग लिखा और इसकी परामर्शी संस्था स्काईलाइन आर्किटेक्चर कंस्ट्रक्शन काम कर रही है।
यहां पर ठेकेदार शिवांश इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड का भी बाकायदे बड़ा सा बोर्ड भी लगाया गया है। उसके बाद भी लोगों को भ्रमित करने तथा विरोधी दल के लोगों को राजनीति करने के लिए एक और मौका दिया जा रहा है, क्योंकि बाहर जिला अस्पताल के बिल्डिंग पर बाबा कीनाराम स्वशासी राज्य चिकित्सालय महाविद्यालय का बोर्ड लगाया गया है ।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सत्य प्रकाश का कहना है कि पूर्व के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के मौखिक निर्देश पर यह बोर्ड बनाया गया है और उसे लगवाया गया है, लेकिन नाम को लेकर जिलाधिकारी द्वारा शासन से पत्राचार भी किया गया है। जैसे ही शासन से कोई निर्देश आएगा, उसी के हिसाब से इसे दुरुस्त कर दिया जाएगा। फिलहाल देखा जाए तो ऑफिशियल पत्राचार में यही नाम लिखकर यहां आ रहा है। यदि भविष्य में किसी प्रकार की कोई आपत्ति होगी तो इस बोर्ड को हटा दिया जाएगा।
वहीं इस संबंध में जिले के मेडिकल कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉक्टर आनंद मिश्रा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में शिक्षण कार्य को शुरू करने के लिए एनएमसी के निरीक्षण के बाद होगा, लेकिन इनिशियल लिस्ट में नाम आने के कारण यह कहा जा रहा है कि इस साल एडमिशन हो सकता है। वहीं रही कॉलेज के नाम की बात तो शासन को नाम के लिए लिख कर दिया गया है।
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि वह गाजीपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य हैं और यहां अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है। वहां पर भी कार्यदायी संस्था द्वारा वहां के भी राजकीय मेडिकल कॉलेज का बोर्ड लगाया गया था, लेकिन मेडिकल कॉलेज का नाम है महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय गाज़ीपुर हो गया है। अभी तक वहां के बारे में भी कोई परफेक्ट नाम नहीं आया है, जिसकी वजह से वह कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं। जिला चिकित्सालय पर जो बोर्ड लगाया गया है। वह उनके कार्यकाल का नहीं लगाया गया है। यह बोर्ड गलत है तो उसे हटवा दूंगा और जैसे ही नाम आएगा, उसी के हिसाब से फिर दूसरा बोर्ड लगवा देंगे।
जब नाम को लेकर सरकार व सरकारी अधिकारियों में इतना कंफ्यूजन हो तो इसे अंधेर नगरी नहीं तो और क्या कहेंगे... क्योंकि राजकीय मेडिकल कॉलेज की घोषणा व राजकीय मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन के बाद अब इसे स्वशासी राज्य चिकित्सालय महाविद्यालय कर दिया गया है।