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नए चेहरों के साथ मुकाबला करेंगे महेंद्रनाथ पांडेय, बसपा को ऐसे दिग्गज की तलाश

चंदौली लोकसभा सीट पर अभी तक भाजपा से डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय को तीसरी बार प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं सपा से इस बार फिर नए चेहरे पर दाव आजमाया गया है।
 

लोकल चेहरे को खोज रही है बसपा

अल्पसंख्यक या पिछड़ी जाति से होगा प्रत्याशी

नए चेहरों से होगा डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय का मुकाबला

चंदौली जिले के लोकसभा में अबकी बार भाजपा की टक्कर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार से होती दिख रही है। गठबंधन के कारण कांग्रेस मैदान से बाहर है और  बसपा किसी मजबूत और मालदार उम्मीदवार की तलाश कर रही है, क्योंकि जिले में कोई और दिग्गज ऐसा नहीं दिख रहा है, जो अपने संसाधन पर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ सके। इसलिए ऐसा लगता है कि भाजपा सांसद डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय का मुकाबला नए चेहरों के साथ ही होगा।

चंदौली लोकसभा सीट पर अभी तक भाजपा से डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय को तीसरी बार प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं सपा से इस बार फिर नए चेहरे पर दाव आजमाया गया है। पहले 2014 में रामकिशुन, 2019 में  संजय सिंह चौहान को सपा ने उनके मुकाबले खड़ा किया, लेकिन नतीजा नहीं बदला। इसीलिए सपा ने इस बार चंदौली लोकसभा सीट पर वीरेंद्र सिंह को टिकट दिया है। वह पहले दोनों उम्मीदवारों से धनबल और चुनावी रणनीति में मजबूत समझे जा रहे हैं।

सपा के धुरंधर माने जाने वाले रामकिशुन यादव पर पार्टी ने 2009 और 2014 में भरोसा किया, जिसमें उनको एक बार नजदीकी मुकाबले में जीत और दूसरी बार हार मिली और वे तीसरे स्थान पर चले गए थे। वहीं 2019 चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, बल्कि यह सीट सपा-बसपा गठबंधन से संजय सिंह चौहान को मिल गयी। जबकि  कांग्रेस ने जन अधिकार पार्टी की शिवकन्या कुशवाहा को समर्थन देकर चुनाव को दिलचस्प बनाने की कोशिश की, लेकिन भाजपा से डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय को हरा नहीं पाए। भाजपा ने महेंद्रनाथ पांडेय को एक बार फिर मौका दिया है, वहीं अन्य राजनीतिक पार्टियां हर बार की तरह इस बार भी नए चेहरे पर ही दाव आजमाने की कोशिश में हैं। बसपा भी किसी नए चेहरे के साथ उम्मीदवार उतारने की उम्मीद लगायी जा रही है।

भाजपा के द्वारा ब्राह्मण और सपा के द्वारा क्षत्रिय उम्मीदवार उतारे जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी किसी पिछड़े या अल्पसंख्यक उम्मीदवार को खोज रही है, जो अपने संसाधन से लोकसभा का चुनाव लड़ सके। इस दौरान विधानसभा का चुनाव लड़े एक नेता को मैदान में उतारने के प्लान पर अंदरखाने में चर्चा भी चल रही है। अगर ऐसा हुआ तो वह वोटकटवा उम्मीदवार जरूर साबित होगा।

इसलिए कहा जा रहा है कि इस लोकसभा 2024 के चुनाव में भाजपा सांसद का मुकाबला अबकी बार नए चेहरों के साथ ही होगा, क्योंकि पिछले चुनावों में टक्कर देने वाला कोई उम्मीदवार मैदान में उतरते हुए नहीं दिखायी दे रहा है।

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