...इसलिए चुनाव मैदान में आमने सामने हैं पूर्व चेयरमैन लालता प्रसाद यादव के दोनों लड़के
बृजेश यादव और सुनील यादव के बीच चुनावी टक्कर
पिता की विरासत संभालने का दावा
एक दूसरे को मनाने के सारे प्रयास असफल
दिलचस्प होगी चंदौली नगर पंचायत में टक्कर
चंदौली जिले के नगर पंचायत चुनाव में नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन स्वर्गीय लालता प्रसाद यादव के दो बेटे एक दूसरे के खिलाफ की जोर आजमा रहे हैं. दोनों का दावा है कि वह अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं और उनके जमाने में हुए विकास कार्य एक बार फिर से आगे बढ़ाए जाएंगे। चुनाव में दोनों भाई एक दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। दोनों बिना किसी चुनाव कार्यालय के अपने दम पर अपने परिवार की विरासत को संभालने और उसे आगे बढ़ाने की बात लोगों से कह रहे हैं।
नामांकन से लेकर नाम वापसी के बीच हर किसी को उम्मीद थी कि नाम वापसी के समय लालता प्रसाद यादव के दोनों बेटों में से एक बेटा अपना नाम वापस कर लेगा, इसके लिए कई रिश्तेदारों ने भी जोर लगाया, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और उनके दोनों बेटे बृजेश यादव और सुनील यादव उर्फ गुड्डू यादव अबकी बार एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि परिवार के आपसी विवाद के चलते यह नौबत आयी है और दोनों लोग एक दूसरे के प्रस्ताव को नहीं माने जिससे मतदाताओं के बीच तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।
तीन बार एक ही परिवार का कब्जा
चंदौली नगर पंचायत में अब तक हुए कुल 6 चुनावों में तीन बार इसी परिवार का नगर पंचायत की सीट पर कब्जा रहा है। शुरुआती दो चुनाव में लालता प्रसाद यादव निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत चुके हैं। वही 2012 के चुनाव में लालता की पुत्रवधू मीनाक्षी यादव निर्दल उम्मीदवार के रूप में इस कुर्सी को सुशोभित कर चुकी हैं। पर दोनों भाई अबकी बार अलग-अलग हैं और एक दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। दोनों भाईयों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह मिला है।
एलएलबी डिग्रीधारी हैं बृजेश यादव
इलाहाबाद से एलएलबी की डिग्रीधारी बड़े भाई बृजेश यादव का कहना है कि पिताजी के समय में जो नगर के विकास कार्य हुए थे, वह उनके बाद ठहर सा गया है। जितने लोग उनके बाद चुनाव मैदान में उतरे वह केवल अपना भला करते रहे। इसीलिए ठहरे हुए विकास को गति प्रदान करने के लिए वह चुनाव मैदान में हैं।
सुनील यादव उर्फ गुड्डू यादव का दावा
वहीं उनके छोटे भाई और पूर्व चेयरमैन मीनाक्षी यादव की पति सुनील यादव उर्फ गुड्डू का कहना है कि हमारी पत्नी के कार्यकाल में भी काफी कार्य हुए हैं। नगर पंचायत का कार्यालय का निर्माण और सामने वाले पोखरे के सुंदरीकरण उन्हीं के कार्यकाल की देन है। इसके अलावा नगर में कई छोटे-बड़े कार्य भी कराए गए हैं। विरोधी केवल जानबूझकर उनके खिलाफ माहौल बना रहे हैं।
वहीं अपने सगे बड़े भाई के चुनाव लड़ने के सवाल पर सुनील यादव ने कोई और टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है। छोटा सा चंदौली पंचायत का क्षेत्र है। सारे लोग एक दूसरे के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं और सबको पहचानते भी हैं। जिसको जनता आशीर्वाद देकर प्रतिनिधि के रूप में चुनेगी वह ही चेयरमैन बनेगा।
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ऐसा है चेयरमैन की कुर्सी का इतिहास
आपको बता दें कि चंदौली नगर पंचायत में अब तक कुल का गठन 1971 में हुआ था, लेकिन इसके लिए चुनाव 1989 से शुरू हुए 1989 से लेकर अब तक नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव कुल 6 बार हुए, जिसमें से तीन बार एक ही परिवार का जलवा रहा है। यह कुर्सी तीन बार लालता प्रसाद यादव के परिवार में गई है, जिसमें 1989 और 1995 में वह खुद चुनाव जीते थे, जबकि 2012 के चुनाव में उनकी पुत्रवधू और सुनील यादव की पत्नी मीनाक्षी यादव चुनाव जीतकर चेयरमैन बनीं थीं।
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इसके बाद 2000 में महिला सीट होने पर मिथिलेश गुप्ता ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर नगर पंचायत की चेयरमैन के रूप में चुनाव जीता था। 2006 में सामान्य सीट पर सुदर्शन सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चेयरमैन चुने गए थे। हालांकि बाद में वह बहुजन समाज पार्टी के काफी नजदीक चले गए। 2017 में अनुसूचित जाति की सीट होने पर रवींद्रनाथ गोड़ ने भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चेयरमैन बनने का गौरव हासिल किया है, लेकिन उनके कार्यकाल में हुई पार्टी की किरकिरी की वजह से अबकी बार भारतीय जनता पार्टी को चुनाव जीतने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
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