मुख्तार की मौत के बाद बोले शैलेन्द्र सिंह, इस खौफ से अपनी मौत मर गया मुख्तार

शैलेंद्र सिंह ने कहा कि जब हम अधिकारी बनते हैं तो हमजनता के सेवक के रूप में होते हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दल अधिकारियों को पार्टी के एजेंट की तरह इस्तेमाल करती हैं।
 

चंदौली के फेसुड़ा गांव के रहने वाले हैं शैलेन्द्र सिंह

मुख्तार के खिलाफ की थी पहली कार्रवाई

मुलायम सिंह यादव के दबाव में छोड़नी पड़ी थी नौकरी

मुख्तार की मौत पर खुलकर बोले शैलेन्द्र सिंह

कहते हैं कि उस दौर में जब मुख्तार अंसारी की तूती बोलती तब चंदौली जिले के ही एक लाल ने उसके खिलाफ मोर्चा खोला था और लाइट मशीन गन बरामद कर उसके खिलाफ पोटा लगने की रिकमेंडेशन की थी, लेकिन यह बात तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को नागवार गुजरी और आला अधिकारियों से दबाव बनाकर शैलेंद्र सिंह को डिप्टी एसपी के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा।

चंदौली जिले के सैयदराजा थाना इलाके के फेसुड़ा गांव के रहने वाले शैलेन्द्र सिंह ने मुख्तार अंसारी की मौत के बाद दिल खोलकर बोले। खेती-किसानी के काम में जुटे शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अपने साथ 20 साल पहले हुयी ज्यादती का दर्द को साझा किया और कहा कि आज वह अपनी मौत मरा है, जो खौफ और डर वह दूसरे के दिल में पैदा करके अपने आप को बड़ा माफिया समझने लगा था, वही डर और खौफ उसके अंदर समा गया, जिससे उसे हार्ट अटैक आया और वह अपनी मौत मर गया।


 शैलेंद्र उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर सत्ता पक्ष द्वारा अपराधियों को किया जा रहे संरक्षण की बात सामने लाई थी। वह करते हैं कि अगर वह नौकरी में रहते तो शायद यह पक्ष उजागर नहीं होता। किसी अधिकारी में दम नहीं था कि वह मुख्यमंत्री के फरमान को अनसुना कर दे, लेकिन आज उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्होंने उस समय मुख्तार अंसारी का विरोध किया, जब वह अपने पीक पर था। उन्हें कुछ कष्ट जरूर हुआ, लेकिन आज जिस तरह से अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है और उनको सजा मिल रही है, उसे लोगों को भी ऐसा लगने लगा है कि अपराधी ज्यादा दिन के मेहमान नहीं है।


शैलेंद्र सिंह ने कहा कि जब हम अधिकारी बनते हैं तो हमजनता के सेवक के रूप में होते हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दल अधिकारियों को पार्टी के एजेंट की तरह इस्तेमाल करती हैं। इसीलिए सपा की हरकत उनको अच्छी नहीं लगी। इसीलिए उन्होंने सपा के सरकार में अपनी नौकरी छोड़ दी, क्योंकि उसे समय के आईजी, डीआईजी, एसपी समेत कई अधिकारी इधर से उधर किए गए और सारे लोग अपने नौकरी बचाने के चक्कर में उनके ऊपर दबाव बनाते रहे। इसीलिए उन्हें मजबूरी में अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला लेना पड़ा।
नौकरी छोड़ने के बाद भी मुख्तार के गुर्गों ने खूब परेशान किया, लेकिन वह अपना हौसला नहीं छोड़े और आज सच्चाई सबके सामने है। वह अपराधी अपनी मौत मर गया।