चंदौली में 10 हजार का टारगेट अब तक केवल 8 आवेदन, कैसे पूरा होगा लक्ष्य
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वैसे तो चंदौली जिले में तमाम तरह की योजनाओं को चलाने का दावा किया जा रहा है लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव व लाभ देने के तरीके की तमाम खामियों के कारण लोग इनका लाभ लेने के प्रति उदासीन रहते हैं। इसीलिए देखा जाय तो पशु पालक क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए जिले में केवल आठ हजार पशुपालकों ने ही आवेदन किया है।
बताया जा रहा है कि अब जमीन व पशुओं की नस्ल और संख्या के आधार पर बैंक पशुपालकों को ऋण प्रदान करेंगे। वैसे अगर देखा जाय तो चंदौली जिले में 10 हजार पशुपालकों का क्रेडिट कार्ड बनवाने का लक्ष्य रखा गया है। नई योजना से डेयरी उद्योग व पशुपालन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ाने का प्लान है, ताकि पशु पालन का कारोबार बढ़ाया जा सके।
प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण व पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत पशुपालकों का क्रेडिट कार्ड बनवाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। पशुपालकों को बैंकों से ऋण दिया जा रहा है। दिसंबर माह में योजना लागू की गई। इसको लेकर लोगों में रुझान दिख रहा है। कृषि प्रधान जनपद में 10 हजार क्रेडिट कार्ड बनवाने के लक्ष्य के सापेक्ष आठ हजार लोगों ने आवेदन किया है।
आवेदनों की जांच कर पशुपालन विभाग की ओर से बैंकों को उपलब्ध कराया गया है। बैंकों की ओर से पशुपालक के पास जमीन, पशुओं की संख्या और उनके नस्ल के अनुसार ऋण दिया जाएगा। नई योजना से डेयरी उद्योग और पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। योजना के बाबत व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया है। हालांकि पात्रों को ही बैंकों से ऋण मिलेगा।
जिले में डेयरी की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य
कृषि प्रधान जनपद में लगभग पांच लाख मवेशी हैं। इसमें चार लाख गाय हैं जबकि एक लाख से अधिक भैंस हैं। एक दर्जन वृहद, मिनी और माइक्रो कामधेनु डेयरी हैं। रोजाना करीब 25 हजार लीटर से अधिक दुग्ध उत्पादन होता है। पशुपालकों के लिए क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था होने से डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। वहीं दुग्घ उत्पादन भी बढ़ेगा।
चंदौली जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. एसपी पांडेय का कहना है कि जिले में पशुपालकों के क्रेडिट कार्ड के लिए जिले में अभी तक करीब आठ हजार आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। वैसे जिले में 10 हजार पशुपालकों का क्रेडिट कार्ड बनवाने का लक्ष्य रखा गया है। इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। पशुपालकों के पास जमीन, पशुओं की नस्ल और संख्या के अनुसार बैंकों की ओर से ऋण प्रदान किया जाएगा। ताकि सरकार की मंशा के अनुसार लोगों को लाभ मिल सके।
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