पुण्यतिथि विशेष : आज ही रेलवे यार्ड में मिली थी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की लाश
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चंदौली जिले में एकात्म मानववाद के प्रणेता व संघ परिवार के प्रेरणा स्रोत पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। सामाजिक, राजनीतिक और राष्ट्र के प्रति उनकी सोच को दर्शाने के तमाम उदाहरण आज भी इतिहास में मौजूद हैं। राष्ट्रवाद व समाज के प्रति अपना जीवन समर्पित करने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज पुण्यतिथि है। आज ही के दिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे यार्ड (मुगलसराय रेलवे परिसर ) में उनकी लाश मिली थी, जिनकी शिनाख्त उनके कपड़े और उनके शव के पास मिले सामानों के द्वारा की गई थी।
आपको बता दें कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी सन 1959 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे यार्ड के पोल संख्या 673/1276 के पास मिला था। उनकी लाश के पास छुट्टी भीड़ और रेलवे अधिकारी भी उनकी तत्काल पहचान नहीं कर सके थे। बाद में उनके झोले में मिले कपड़ों के आधार पर रेल के अधिकारियों को आभास हुआ कि यह स्वयंसेवक हैं, तो संघ के तत्कालीन नगर संघचालक गुरबख्श कपाही को बुलाया गया। वह शव को देखते ही रोने लगे और बोले यह तो मेरे दीनदयाल हैं।
गुरबक्स कपाही कहते हैं कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की सादगी और सौम्यता देखकर हर कोई उनका कायल हो जाता था। वह अपने साथ कोई भी तामझाम लेकर नहीं चलते थे। अक्सर वो जहाँ भी जाते थे अकेले ही जाते थे। उनके पास उनके साथ उनका एक झोला, उसमें एक पैजामा कुर्ता, अंडरवियर-बनियान, चादर व छोटी तकिया और काली टोपी हुआ करती थी।
फिलहाल पंडित दीनदयाल उपाध्याय को इनकी जन्म तिथि और पुण्य तिथि पर याद किया जाता है। भारतीय जनता पार्टी सरकार में उनके नाम पर रेलवे स्टेशन का नाम और स्मारक स्थल बनाकर श्रद्धांजलि देने की कोशिश की गई है और उनकी यादों को भी संजोने का प्रयास किया जा रहा है।
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