बरसात बाद होता है डिप्थीरिया का इंफेक्शन, ये है बचने का सरल तरीका
चंदौली जिले चल रहा टीकाकरण अभियान
अपने छोटे बच्चों का जरूर कराएं टीकाकरण
जानिए क्या है डिप्थीरिया के लक्षण
चंदौली जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाईके राय ने बताया है कि बरसात के मौसम के तुरन्त बाद संक्रामक रोगों के साथ-साथ डिप्थीरिया यानि गलघोटूं का संक्रमण फैलने की सम्भवना रहती है। इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है।
गलाघोटूं या डिप्थीरिया एक जीवाणु (कोराइन बैवेटरिया डिप्थीरिया) द्वारा फैलने वाला संक्रामक रोग है। डिप्थीरिया एक ऐसा संक्रामक रोग है, जो आम तौर पर गले और टॉन्सिल को प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे जिन्होंने, डिप्थीरिया का टीकारकण नहीं करवाया है, उनमें यह रोग होने की सम्भावना अधिक रहती है। इसलिए ऐसे बच्चों को सावधान रहने की जरूरत है।
इस बीमारी में गले में एक ऐसी झिल्ली बन जाती है, जो सांस लेने में रुकावट पैदा करती है, जिससे मौत भी हो सकती है। इसके लक्षणों में गले में खराश, आवाज बैठ जाना या खाना निगलने में दर्द होना तथा ग्रसनी और नाक में झिल्ली बन जाना है। डिप्थीरिया के जीवाणु के संक्रमित व्यक्ति के मुंह, नाक, गले में रहते हैं। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्त्ति में खांसने और छींकने से फैलता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल अपनी जांच करवाकर इलाज कराएं, नहीं तो परेशान बढ़ने लगती है।
इस बारे में जिले के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अमित कुमार दूबे का कहना है कि राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनुसार 0 से 16 वर्ष तक के बच्चों में पेन्टावैलेन्ट, डी.पी.टी. बूस्टर एवं टी.डी. की बूस्टर खुराक रोकथाम का प्रभावी तरीका है। यह टीका सभी सरकारी चिकित्सालयों में निःशुल्क लगाया जाता है। टीकाकरण सारणी के अनुसार छह सप्ताह पर पेन्टावैलेन्ट-1, 10 सप्ताह पर पेन्टावैलेन्ट-2 एवं 16 सप्ताह पर पेन्टावैलेन्ट 3 का टीका लगाया जाता है। जो बच्चे एक वर्ष तक कोई भी टीकाकरण नहीं कराते हैं और एक वर्ष के बाद टीकाकरण कराने के लिए आते हैं तो उनको डी.पी.टी. वैक्सीन की एक-एक माह के अन्तराल पर तीन खुराक लगाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों को 16 से 24 माह पर डी.पी.टी.-1 बूस्टर एवं 05 वर्ष पर डी.पी.टी.-2 बूस्टर के रुप में दिया जाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि रोग से बचने हेतु जन समुदाय को जागरुक किया जा रहा है। रोग के लक्षण आने पर तत्काल अपने गांव की आशा, ए. एन.एम. और सी.एच.ओ. से सम्पर्क करें एवं नजदीकी सरकारी चिकित्सालय से परामर्श एवं उपचार कराएं।
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