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ये चार एप्स हैं खतरनाक, बच कर रहें लोग वरना ठग खाली कर देंगे आपका बैंक बैलेंस

यदि आपका बैंक में खाता है और अपना पैसा सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इन चार मोबाइल एप्लिकेशन से सावधान रहने की जरूरत है वरना ठग आपके बैंक खाते को खाली कर देंगे। साइबर ठग एनी डेस्क, क्विक सपोर्ट, टीम व्यूअर, मिगलव्यू एप ठगी कर रहे हैं।
 

ये चार एप्स हैं खतरनाक

बच कर रहें लोग

वरना ठग खाली कर देंगे आपका बैंक बैलेंस
 

यदि आपका बैंक में खाता है और अपना पैसा सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इन चार मोबाइल एप्लिकेशन से सावधान रहने की जरूरत है वरना ठग आपके बैंक खाते को खाली कर देंगे। साइबर ठग एनी डेस्क, क्विक सपोर्ट, टीम व्यूअर, मिगलव्यू एप ठगी कर रहे हैं। जो खाताधारक इसमें चूका उसका खाता खाली होने में देर नहीं लगेगी। ऐसे में लोग भूलकर भी किसी अनजान व्यक्ति के कहने पर इन एप्लिकेशन को मोबाइल में अपलोड न करें। इसको लेकर एसबीआइ ने गाइडलाइन जारी कर अपने खाताधारकों को अलर्ट भी किया है।


यह सभी खाताधारकों के लिए है। साइबर एक्सपर्ट लोगों को एप को डाउनलोड करने से परहेज की सलाह दे रहे हैं। जिले में ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जिसमें जालसाजों ने इसी तरह के एप्लीकेशन मोबाइल में डाउनलोड कराकर लोगों के खाते से पैसे उड़ा दिए हैं।


आप को बता दें कि इस साल साइबर जालसाजी के लगभग 30 मामले सामने आ चुके हैं। जालसाजों ने लोगों को फोनकर खातों की डिटेल मांगी या डेबिट कार्ड की अवधि खत्म होने की बात कर उसका चार अंकों का सीबीसी अंक मांगा। इससे लोगों को अपना शिकार बनाया। अब मोबाइल में एनीडेस्क एप्लिकेशन अपलोड करवा रहे हैं। जो इनके झांसे में फंसा उसका खाता खाली कर दे रहे हैं।


राहत की बात यह रही कि भुक्तभोगी समय से पुलिस के साइबर सेल के पास पहुंच जा रहे और कुछ मामलों में पैसे उनके खाते में वापस आ गए। तकनीकी युग में खतरा बढ़ गया है। अधिकांश लोग आजकल मोबाइल पेमेंट व आनलाइन बैंकिग का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे बैंक में लाइन लगाने की झंझट से तो मुक्ति मिल गई है, लेकिन खतरा भी बढ़ गया है। 


साइबर जालसाज खाताधारक के नंबर पर फोनकर खुद को बैंक अथवा आनलाइन मार्केटिग कंपनी का कर्मी बताते हैं। खाताधारकों को रिवार्ड देने अथवा अन्य बहाने से मोबाइल में एनी डेस्क, टीम व्यूअर, मिगल व्यू व क्विक सपोर्ट एप्लिकेशन डाउनलोड करवा देते हैं। इससे मोबाइल में मौजूद खाते की जानकारी उन्हें प्राप्त हो जाती है। इसके बाद भुक्तभोगी के खाते से पैसे निकाल लेते हैं। 


जालसाजों ने मार्च में पीडीडीयू नगर की रहने वाली परमीत कौर के मोबाइल में एनी डेस्क अपलोड कराकर खाते से 21 हजार रुपये उड़ा दिए थे। इसी तरह मई में आनलाइन शापिग कंपनी का कर्मी बनकर सैयदराजा निवासी सूरज कुमार को फोन किया। उनके मोबाइल में एप अपलोड कराया। इसके बाद खाते से 17 हजार उड़ा दिए। इसके तरह के अन्य मामले हैं, जिसमें खुद की लापरवाही से लोग जालसाजी के शिकार हो गए। 


साइबर सेल के एक्सपर्ट राहुल सिंह ने बताया कि असावधानी की वजह से जालसाज अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। ऐसे में लोगों को सचेत रहने की जरूरत है। किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने पर मोबाइल में एप्लिकेशन अपलोड न करें। बैंक अथवा एटीएम की डिटेल किसी भी सूरत में दूसरों के साथ साझा न करें। 'आनलाइन एप्लिकेशन को लेकर खाताधारकों को जागरूक किया जा रहा है। उनसे अपील की जा रही है कि इस तरह के एप्लीकेशन मोबाइल में कदापि अपलोड न करें। इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है।

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