जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

चंदौली के अमड़ा में चुनार की तरह बनेगा जीआईएस ट्रांसमिशन उपकेंद्र, जानिए क्या होगा फायदा

बिजली विभाग की योजना के अनुसार चंदौली और चुनार में 220 केवी का जीआईएस (गैस इंसुलेटेड) सब स्टेशन बनेगा। चुनार में इसके निर्माण पर 133 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
 

ऐसी है बिजली विभाग की योजना

चुनार और चंदौली में बनना है गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन

जानिए कैसे काम करता है GIS ट्रांसमिशन उपकेंद्र

चंदौली जनपद में बेहतर बिजली व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन (GIS) बनाने की योजना पर काम शुरू होने जा रहा है। इसके लिए चंदौली जनपद के साथ-साथ मिर्जापुर जिले के चुनार में भी एक ऐसा ही गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन बनाया जाएगा। इस गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन के निर्माण हो जाने के बाद नारायणपुर, अहिरौरा, जीवनाथपुर के साथ-साथ चंदौली जनपद के कई सब स्टेशन में निर्बाध रूप से बिजली मिलने लगेगी।
जानकारी में बताया जा रहा है कि बिजली विभाग की योजना के अनुसार चंदौली और चुनार में 220 केवी का जीआईएस (गैस इंसुलेटेड) सब स्टेशन बनेगा। चुनार में इसके निर्माण पर 133 करोड़ रुपये खर्च होंगे। लगभग इतनी ही लागत चंदौली में आ सकती है। इससे नारायणपुर, अहरौरा और जिवनाथपुर उपकेंद्र से जुड़े लाखों उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली मिलेगी। इसका निर्माण जल्द शुरू होगा।

GIS transmission substation

इस बारे में जानकारी देते हुए अधीक्षण अभियंता डीसी दीक्षित ने बताया कि चंदौली में अमड़ा में सबस्टेशन के लिए जमीन तलाशी जा रही है। फाइनल होने के बाद इस्टीमेट बनाकर मुख्यालय भेजा जाएगा।

चंदौली और चुनार में बेहतर बिजली आपूर्ति के लिए 220 केवी के उपकेंद्र की जरूरत थी । सर्वे के बाद जमीन तलाशी गई फिर 133 करोड़ का प्रस्ताव मुख्यालय भेजा गया था, जिसे मंजूरी मिल गई। अब चंदौली में जमीन की तलाश चल रही है। इसके बाद वहां पर भी तेजी से काम कराया जाएगा।

GIS transmission substation

क्या होता है जीआईएस सब स्टेशन गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन (जीआईएस) में सभी उपकरण ढके रहते हैं। पाइपों में इंसुलेटिंग गैस भरी जाती है। सिर्फ ट्रांसफार्मर बाहर रहते हैं। चूंकि जीआईएस एसएफ6 गैस इन्सुलेशन का उपयोग करता है, जिसके लिए वायु की तुलना में बहुत कम इन्सुलेशन की आवश्यकता होती है, इसलिए गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन (जीआईएस) एआईएस की तुलना में 10 गुना तक छोटे हो सकते हैं। जीआईएस का उपयोग ज्यादातर वहां किया जाता है, जहां जगह की कमी होती है या जगह महंगी होती है या यह उपलब्ध नहीं होती है।

चूंकि अधिकांश विद्युत घटक एसएफ6 गैस से घिरे एल्यूमीनियम मिश्र धातु पाइपों के भीतर रहते हैं, इसलिए सक्रिय भाग वायुमंडलीय हवा, नमी, संदूषण आदि के संपर्क में आने से खराब होने से सुरक्षित रहते हैं। और इस कारण से, जीआईएस अधिक विश्वसनीय है, इसके रखरखाव की आवश्यकता कम है, और एआईएस की तुलना में इसका सेवा जीवन लंबा (50 वर्ष से अधिक) होगा।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*