अब सड़कों के किनारे गोशालाएं बनाएंगे हाइवे बनाने वाली कंपनियां, जानवरों से होने वाले हादसे रोकने की पहल

बनाने वाली कंपनियां बनाएंगी गोशालाएं
NHAI की पहल किया जाएगा CSR फंड का इस्तेमाल
सड़कों के किनारे गोवंशों के लिए बनेगा आश्रय स्थल
सड़क पर होने वाले हादसों में आएगी कमी
चंदौली जिले में बेसहारा गोवंश से हाईवे पर हो रही दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए अब हाईवे बनाने वाली कंपनियों को गोशाला निर्माण का जिम्मा दिया जाएगा। भारत सरकार ने यह फैसला लिया है, जिसका असर उन जगहों पर भी होगा, जहां से नेशनल हाइवे गुजरते हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की ओर से यह निर्देश जारी किया गया है कि सड़क निर्माण कराने वाली कंपनियां अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) फंड से गोशालाएं बनाएंगी और पशुओं की देखरेख की जिम्मेदारी निभाएंगी।

इस संबंध में एनएचएआई के शीर्ष अधिकारियों ने पूर्वांचल के वाराणसी, प्रयागराज, आजमगढ़, गोरखपुर समेत पांच इकाइयों से जुड़ी दर्जनभर निर्माण कंपनियों के साथ बैठक कर कार्ययोजना मांगी है। एनएचएआई कंपनियों को गोशाला निर्माण हेतु मुफ्त में भूमि देगा। प्रस्ताव के मुताबिक, आश्रय क्षेत्रों का क्षेत्रफल 0.21 हेक्टेयर से लेकर 2.29 हेक्टेयर तक होगा। जिन नए प्रोजेक्टों पर काम शुरू होना है, वहां योजना को 100% प्रभावी करने पर ज़ोर दिया जाएगा।

गोशालाओं के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध
एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी एस.के. आया ने बताया कि हाईवे किनारे पर्याप्त खाली भूमि है और कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे गोशाला निर्माण के लिए प्रस्ताव जल्द से जल्द जमा करें। पहले चरण में यह योजना पूर्वी भारत के हाईवे परियोजनाओं पर लागू की जा रही है। इसके बाद इसे देशभर में फैलाया जाएगा। वर्तमान में एनएचएआई देशभर में करीब 1.42 लाख किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क संचालित करता है।
पायलट प्रोजेक्ट से मिली प्रेरणा
एनएचएआई पहले ही उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा के नेशनल हाईवे-334B के खरखौदा बाईपास और एनएच-148V के भिवानी-हांसी खंड पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गोशालाओं का निर्माण करा चुका है। इसके लिए दिसंबर 2024 में गवार कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के साथ समझौता (MoU) किया गया था।
हादसों में कमी की उम्मीद
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में उस वर्ष 4.61 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.68 लाख लोगों की मौत हुई जबकि 4.02 लाख घायल हुए। ऐसे में बेसहारा पशुओं से हो रही दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए यह योजना कारगर मानी जा रही है। सड़कों की लंबाई और वाहनों की संख्या में इजाफा तो हुआ है, लेकिन सुरक्षा इंतजाम अभी भी कमजोर हैं।
संभावना और समाधान
यह योजना न केवल सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी बल्कि बेसहारा गोवंश को आश्रय देने का भी समाधान बनेगी। प्राधिकरण की यह पहल सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी सराहनीय कदम माना जा रहा है।
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