मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता के लिए अब 'चूने की लकीर' होगी आधार, गुणवत्ता पर खास फोकस

मनरेगा में श्रमिकों की कार्य सीमा चूने से होगी चिह्नित
कार्यस्थल की जियो टैग फोटो में चूने की लकीर दिखाना अनिवार्य
चिह्नांकन न होने पर मजदूरी पर हो सकती है कटौती
चंदौली जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत हो रहे कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अब चूने से कार्यस्थल का स्पष्ट चिह्नांकन (मार्क आउट) अनिवार्य कर दिया गया है। इस व्यवस्था के तहत कार्य शुरू होने से पहले ही सफेद चूने से कार्य की सीमा तय की जाएगी, ताकि श्रमिकों को यह स्पष्ट रहे कि उन्हें कितने क्षेत्र में और किस प्रकार का कार्य करना है।

जियो टैग फोटो के साथ निगरानी होगी सख्त
रोजगार सेवक और महिला मेट द्वारा कार्यस्थल पर चूने से लाइन खींचकर उस क्षेत्र का निर्धारण किया जाएगा, जिसमें श्रमिक को कार्य करना है। इस प्रक्रिया की फोटो नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) ऐप से खींची जाएगी और उसमें चूने की लकीर स्पष्ट रूप से दिखनी चाहिए। यदि फोटो में यह चिह्न नजर नहीं आया तो संबंधित श्रमिक की मजदूरी काटी जा सकती है।

2.64 लाख जॉब कार्डधारकों में 1.59 लाख सक्रिय
जनपद चंदौली में मनरेगा के तहत कुल 2.64 लाख श्रमिकों के जॉब कार्ड बनाए गए हैं, जिनमें 1.59 लाख कार्ड वर्तमान में सक्रिय हैं। कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए शासन द्वारा ग्रुप टास्क नापी सिस्टम (GTNS) भी लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत श्रमिकों को समूहों में बांटकर एक तय कार्य का लक्ष्य दिया जाएगा।
पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग कार्यदायित्व
मिट्टी खुदाई जैसे कार्यों में पुरुष श्रमिक को प्रतिदिन 1.38 घन मीटर कार्य करना होगा, जबकि महिला श्रमिक के लिए यह सीमा 1.22 घन मीटर तय की गई है। इसके बदले प्रत्येक श्रमिक को 252 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जाएगी। कार्य की माप और गुणवत्ता चूने की सीमा के आधार पर की जाएगी।
भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
मनरेगा के कार्यों में ब्लॉक स्तर पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं। कई बार बिना कार्य के मजदूरी भुगतान, अधूरी खुदाई, या मनमाने तरीके से कार्यदायित्व देने जैसे मामले सामने आते रहे हैं। ऐसे में 'चूने की लकीर' और जियो टैग्ड फोटो की अनिवार्यता इन गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने का कार्य करेगी।
प्रशासन ने दिए सख्त निर्देश
मनरेगा के उपायुक्त रविंद्र नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि, “कार्य की गुणवत्ता में पारदर्शिता लाने को चूने की लकीर से श्रमिक का कार्य निर्धारण कराने का निर्देश है, ताकि कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही न होने पाए।” उन्होंने समस्त अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों को इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
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