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आज रात आसमान में दिखेगा 'Pink Moon' का अद्भुत नजारा, आप भी जानें कब और कहां देखा जा सकता है ये नजारा

अप्रैल में जब वसंत का आगमन होता है, तो इस मास में'मॉस पिंक' नामक गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं। इन्हीं फूलों से प्रेरित होकर अप्रैल की पूर्णिमा को 'पिंक मून' कहा जाने लगा।
 

हर साल अप्रैल महीने की एक खास रात आसमान को अलग ही चमक मिलती है और इस बार भी 12 अप्रैल को ऐसा ही नज़ारा देखने को मिलेगा। आज रात ‘पिंक मून’ (Pink Moon) यानी अप्रैल की पूर्णिमा अपने चरम पर होगी। इस  नाम से भले ही ये चांद गुलाबी लगे, लेकिन असल में इसका रंग आम पूर्णिमा की तरह ही होगा।

पिंक मून' क्यों कहा जाता है इसको

इस नाम की जड़ें अमेरिका की पुरानी परंपराओं से जुड़ी हैं। अप्रैल में जब वसंत का आगमन होता है, तो इस मास में'मॉस पिंक' नामक गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं। इन्हीं फूलों से प्रेरित होकर अप्रैल की पूर्णिमा को 'पिंक मून' कहा जाने लगा। कुछ लोग इसे ‘पास्कल मून’ भी कहते हैं, क्योंकि यह ईस्टर संडे की तारीख तय करने में मदद करता है।

Pink Moon

क्या होता है 'माइक्रोमून'

जब चांद पृथ्वी से सबसे दूर (अपोजी) होता है और उसी वक्त पूर्णिमा होती है, तो उसे 'माइक्रोमून' कहा जाता है। ऐसे में चंद्रमा थोड़ा छोटा और कम चमकीला नजर आता है, लेकिन खूबसूरती में कोई कमी नहीं आती।

कब और कैसे देख सकते हैं ये नज़ारा?

‘पिंक मून’ आज रात 8:22 बजे अपने पूरे यौवन पर होगा। लेकिन भारत में यह 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 52 मिनट रक दिखेगा।  सूर्यास्त के बाद इसे देखना सबसे अच्छा रहेगा। ये पूरा चांद रातभर आकाश में चमकता रहेगा, और एक दिन पहले व बाद भी लगभग पूर्ण रूप में नजर आएगा।

देखने के लिए कहां जाएं?

अगर आप इस खगोलीय नज़ारे का मजा लेना चाहते हैं, तो ऐसी जगह चुनें जहां रोशनी कम हो—जैसे कि गांव, पहाड़ी क्षेत्र, खेत या खुले मैदान। शहर में रहने वाले लोग अपनी छत या किसी ऊंची बिल्डिंग से पूर्व दिशा में आसानी से इसे देख सकते हैं।

खगोल प्रेमियों के लिए एक और सरप्राइज!

जो लोग खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं, उनके लिए ये रात और भी खास है। मध्य और दक्षिण अमेरिका में रहने वालों को एक अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा, जब चांद तारे 'स्पाइका' को कुछ देर के लिए ढक लेगा। इस घटना को 'अधिव्यापन' (Occultation) कहा जाता है।

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